हैदराबाद. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की रणनीति पर चर्चा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नई दिल्ली में बैठक बुलाई. इस बैठक में शामिल होने से तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने मना कर दिया. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया.
बताया जा रहा है कि टीआरएस ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस पार्टी को बैठक के लिए आमंत्रित करने से नाखुश है. टीआरएस ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखने के लिए अपने रुख का हवाला दिया.
टीआरएस नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हो सकते, जिसमें कांग्रेस की भागीदारी हो.
तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने दोपहर 3 बजे कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होने वाली बैठक के लिए सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया है. उन्होंने बैठक के लिए विपक्षी शासित राज्यों के आठ मुख्यमंत्रियों को भी निमंत्रण दिया.
शुरू में माना जा रहा था कि टीआरएस प्रमुख केसीआर बैठक से दूरी बनाए रखेंगे, लेकिन अन्य किसी टीआरएस नेता को भेज सकते हैं. लेकिन पार्टी नेताओं के साथ घंटों विचार-विमर्श के बाद उन्होंने टीआरएस के किसी भी नेता को नहीं भेजने का फैसला किया.
टीआरएस ने स्पष्ट किया कि चूंकि कांग्रेस राज्य में उनकी प्रतिद्वंद्वी है, इसलिए वह उसके साथ एक मंच साझा नहीं कर सकते. पार्टी नेता इस बात से भी नाखुश है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले महीने राज्य की अपनी यात्रा के दौरान भाजपा के खिलाफ कुछ भी बोले बिना टीआरएस सरकार पर गलत आरोप लगाए थे.
टीआरएस नेतृत्व का कहना है कि कांग्रेस पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से लेकर पिछले साल हुए हुजुराबाद विधानसभा उपचुनाव तक सभी चुनावों में भाजपा के साथ मिलीभगत की. कांग्रेस ने अपने अवसरों का त्याग कर भाजपा की जीत के लिए काम किया.