उत्तराखंड में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गर्मजोशी से स्वागत, चार दिवसीय दौरे की शुरुआत

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 02-11-2025
President Draupadi Murmu receives warm welcome in Uttarakhand, begins four-day visit
President Draupadi Murmu receives warm welcome in Uttarakhand, begins four-day visit

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
देहरादून (उत्तराखंड), 2 नवंबर (एएनआई): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का रविवार को देहरादून पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति का यह दौरा राज्य के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे अपने प्रवास के दौरान कई ऐतिहासिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों में शामिल होंगी।

अपने उत्तराखंड प्रवास के पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शिरकत करेंगी। इसके बाद, 3 नवंबर को वे देहरादून में उत्तराखंड विधान सभा को संबोधित करेंगी। यह अवसर राज्य स्थापना की रजत जयंती का प्रतीक है, जब उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है।
उसी दिन राष्ट्रपति मुर्मू नैनीताल जाएंगी, जहां वे राजभवन की स्थापना के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में शामिल होंगी। अगले दिन, यानी 4 नवंबर को वे कैचीधाम स्थित नीम करौली बाबा आश्रम जाएंगी और फिर कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के 20वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगी।
राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया एवं सुरक्षा) अभिनव कुमार ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर उन्हें सतर्क और चौकस रहने के निर्देश दिए।
इससे पहले शनिवार को राष्ट्रपति मुर्मू ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पंजाब और पुडुचेरी के गठन दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भारत की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया है। मैं इनके सभी नागरिकों की समृद्धि और सुख-शांति की कामना करती हूं।”
राष्ट्रपति का यह दौरा न केवल उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह राज्य की प्रगति और सांस्कृतिक विरासत के प्रति केंद्र सरकार के निरंतर सहयोग का भी प्रतीक है।