आवाज द वॉयस /श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के स्ट्रीट वेंडर केंद्रीय पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्म निर्भर निधि (पीएम स्वानिधि) योजना के शीर्ष लाभार्थियों में शामिल हो गए हैं.लद्दाख ने जहां 94 प्रतिशत से अधिक की सफलता दर दर्ज की है, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी सफलता दर अधिक है.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के वेंकटेश नायक ने कहा,“दिलचस्प बात यह है कि पहले ऋण वितरण की सफलता दर छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बहुत अधिक थी. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लद्दाख ने 91 प्रतिशत से अधिक की सफलता दर की सूचना दी.
बेशक, यूपी 95.22 प्रतिशत की उच्चतम सफलता दर के साथ सूची में सबसे ऊपर है. हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी ने 81
प्रतिशत से अधिक की सफलता दर दर्ज की है. एपी, जम्मू-कश्मीर, मेघालय और एमपी ने 74 प्रतिशत से ऊपर सफलता दर की सूचना दी है.
नायक ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (आरटीआई अधिनियम) के तहत ऋणों के बारे में उनके द्वारा प्राप्त आंकड़ों के मद्देनजर यह टिप्पणी की है.
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने न केवल ऋण देकर, बल्कि उनके समग्र विकास और आर्थिक उत्थान के लिए सड़क विक्रेताओं को सशक्त बनाने के लिए पीएम स्वनिधि योजना शुरू की है. यह योजना उन सभी स्ट्रीट वेंडरों के लिए उपलब्ध है जो 24 मार्च, 2020 को या उससे पहले शहरी क्षेत्रों में वेंडिंग में लगे हुए हैं.
आरटीआई के जवाब के निष्कर्षों ने आगे खुलासा किया गया है कि महिला स्ट्रीट वेंडर्स के मामले में भी सफलता दर अधिक है.बताया गया कि सफलता दर के संदर्भ में, यूपी की 90.72 प्रतिशत महिला आवेदकों ने पहले और दूसरे दोनों ऋण प्राप्त किए.
लद्दाख की सफलता दर 83.33 प्रतिशत है, जिसके बाद मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मिजोरम में महिला स्ट्रीट वेंडरों की सफलता दर 70-78 प्रतिशत है.
पंजाब में महिला आवेदकों (34.14प्रतिशत) के लिए सबसे कम सफलता दर दर्ज की गई. इसके बाद पश्चिम बंगाल (37.42 प्रतिशत), बिहार (42.84 प्रतिशत), तमिलनाडु (43.74 प्रतिशत) और हरियाणा (45.03 प्रतिशत) है.
हालांकि, दूसरे ऋण वितरण की सफलता दर पहले ऋण की सफलता दर की तुलना में बहुत कम है.किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने 75 प्रतिशत से अधिक सफलता दर की सूचना नहीं दी है.
मेघालय में सबसे अधिक 74.60 प्रतिशत और उसके बाद लद्दाख (63.98 प्रतिशत) का स्थान रहा. अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरे ऋण वितरण की सफलता दर 50 प्रतिशत से कम है.
यूपी, जिसने पहले ऋण वितरण के लिए 95 प्रतिशत से अधिक की सफलता दर थी, दूसरे ऋण वितरण के संबंध में प्रत्येक 10 आवेदनों (39.47 प्रतिशत) में से 4 से कम की सफलता दर है.