पीएम मोदी ने समझाया, नमक और वफादारी का रिश्ता क्या होता है?

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

 

 

अहमदाबाद.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ करने के दौरान नमक खाने का अर्थ समझाया.  प्रधानमंत्री मोदी ने नमक को श्रम और समानता का प्रतीक बताया.  उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है, जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल पल जुड़ा रहता है.  फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है और चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है.  

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया.  हमारे यहां नमक का मतलब है- ईमानदारी.  हमारे यहां नमक का मतलब है- विश्वास.  हमारे यहां नमक का मतलब है-वफादारी.  हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है.  ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है.  ऐसा इसलिए, क्योंकि नमक हमारे यहां श्रम और समानता का प्रतीक है.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “1857का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है.  आजादी के आंदोलन की इस ज्योति को निरंतर जागृत करने का काम, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में, हर क्षेत्र में, हमारे संतो-महंतों, आचार्यों ने किया था. ”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक प्रकार से भक्ति आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन की पीठिका तैयार की थी.  देश के कोने-कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा हैं, जिन्होंने असंख्य तप-त्याग किए.  याद करिए, तमिलनाडु के 32वर्षीय नौजवान कोडि काथकुमरन को, अंग्रेजों ने उनको सिर में गोली मार दी, लेकिन उन्होंने मरते हुये भी देश के झंडे को जमीन पर नहीं गिरने दिया.  श्यामजी कृष्ण वर्मा, अंग्रेजों की धरती पर रहकर, उनकी नाक के नीचे आजादी के लिए संघर्ष करते रहे.  लेकिन उनकी अस्थियां 7दशकों तक इंतजार करती रहीं कि कब उन्हें भारत माता की गोद नसीब होगी.  2003में विदेश से उनकी अस्थियां मैं अपने कंधे पर उठाकर ले आया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अंडमान में जहां नेताजी सुभाष ने देश की पहली आजाद सरकार बनाकर तिरंगा फहराया था, देश ने उस विस्मृत इतिहास को भी भव्य आकार दिया है.  अंडमान निकोबार के द्वीपों को स्वतंत्रता संग्राम के नामों पर रखा गया है.  देश इतिहास के इस गौरव को सहेजने के लिए पिछले 6सालों से सजग प्रयास कर रहा है.  हर राज्य, क्षेत्र में इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.  दांडी यात्रा से जुड़े स्थल का पुनरुद्धार देश ने दो साल पहले ही पूरा किया था.  मुझे खुद इस अवसर पर दांडी जाने का अवसर मिला था. ”