35 जलवायु-अनुरूप फसलों का शुभारंभ किया पीएम मोदी ने

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 28-09-2021
नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

 

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 35 जलवायु-अनुरूप फसल किस्मों का शुभारंभ करते हुए राज्यों और गैर सरकारी संगठनों को विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करने और बाजरा को बढ़ावा देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का सुझाव दिया.

मोदी ने 35 फसल किस्मों को लॉन्च करने वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान कहा, “भारत में पारंपरिक खेती के हिस्से के रूप में किसान अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग फसलें उगाते थे. शुष्क जलवायु, बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में, यहां तक कि बर्फ में भी विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती थीं, जिनमें अधिक पोषण मूल्य भी था, विशेष रूप से मोटा अनाज बाजरा. बाजरा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. इसलिए, आज की जीवनशैली की बीमारियों को देखते हुए बाजरे की बहुत मांग है.”

प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित किया और कृषि विश्वविद्यालयों को ‘ग्रीन कैंपस पुरस्कार’ वितरित किए. उन्होंने फसल की किस्मों को लॉन्च करने से पहले, उन चुनिंदा किसानों के साथ बातचीत की, जो खेती में नवीन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं.

यह बताते हुए कि भारत के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया गया है, मोदी ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बाजरा की खेती की हमारी परंपरा को प्रदर्शित करने का यह एक अच्छा अवसर है. हमें इसकी शुरुआत करनी होगी. मैं सभी गैर सरकारी संगठनों से अपील करता हूं कि वे बाजरा की थीम पर फूड फेस्टिवल का आयोजन करें और बाजरा रेसिपी पर प्रतियोगिताएं आयोजित करें. अगर हम 2023 में इसे वैश्विक मंच पर ले जाना चाहते हैं तो हमें इनोवेशन की जरूरत होगी.”

बाजरा के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि बाजरा के लिए वेबसाइटें विकसित की जा सकती हैं, जिसमें लोग योगदान कर सकते हैं कि बाजरा से कैसे और क्या-क्या बनाया जा सकता है और इसके स्वास्थ्य लाभों को भी सूचीबद्ध किया जा सकता है.

मोदी ने कहा, “मैं सभी राज्यों से यह भी कहूंगा कि कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों को शामिल करते हुए एक टास्क फोर्स का गठन करें और सोचें कि भारत 2023 में अपने किसानों को कैसे लाभ पहुंचा सकता है. आप इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि विज्ञान और अनुसंधान समाधानों की मदद से अब बाजरा और अन्य समान मोटे अनाज विकसित करना अनिवार्य है. भारत के विभिन्न हिस्सों में आवश्यकता के अनुसार बाजरा उगाना उद्देश्य है. लॉन्च की गई फसल किस्मों में इस प्रयास की एक झलक है. उन्होंने कृषि में ‘बैक टू बेसिक’ और ‘मार्च फॉर फ्यूचर’ के संतुलन पर जोर दिया.

प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन को न केवल कृषि, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा, “पशुधन और कृषि क्षेत्र इसका खामियाजा भुगत रहे हैं और आज शुरू की गई 35 किस्में उस चुनौती को पूरा करने के उद्देश्य से हमारे प्रयासों का हिस्सा हैं.”

जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल किस्मों को विकसित किया गया है. इस वर्ष ऐसी पैंतीस फसल किस्मों को विकसित किया गया है, जिनमें जलवायु के अनुरू और उच्च पोषक तत्व जैसे विशेष लक्षण हैं. इनमें शामिल हैं छोले की सूखा सहिष्णु किस्म, मुरझान और बांझपन मोजेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की बायोफोर्टिफाइड किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विनोआ (एक प्रकार का अनाज), पंखों वाली बीन और फैबा बीन.

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने पूरे भारत के चुनिंदा पांच किसानों से बात की और उनके प्रयासों की सराहना की. उन्होंने उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की और पूछा कि क्या उन्हें सरकारी प्रयासों से लाभ हुआ है?

ये पांच किसान हैं- जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले की जैतून बेगम, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से कुलवंत सिंह, गोवा के बर्देज से दर्शन पेडनेकर, मणिपुर से थोइबा सिंह और उत्तराखंड के उधम सिंह नगर से सुरेश राणा.

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बात की.