पीएफआई बैन: न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा यूएपीए ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए
आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है.
संगठन के कार्यालयों और उसके पदाधिकारियों के आवासों पर तलाशी अभियान के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने के बाद, केंद्र द्वारा पांच साल के लिए प्रतिबंधित किए जाने के बाद, पीएफआई और उसके गठबंधनों पर प्रतिबंध की समीक्षा के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है.
इस संबंध में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा, न्यायाधीश को पीएफआई की गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है. इसमें फ्रंट और उसके सहयोगी जिसमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन , कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया , ऑल इंडिया इमाम काउंसिल , नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन , नेशनल वुमन फ्रंट शामिल हैं.
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने हाल में जारी एक अधिसूचना के माध्यम से पीएफआई और उसके सहयोगियों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन के रूप में घोषित करते हुए प्रतिबंध का ऐलान किया था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्राप्त इनपुट के अनुसार, पीएफआई एक सुव्यवस्थित और संरचित तरीके से विदेशों से पर्याप्त धन जुटा रहा था.
केंद्रीय एजेंसियों को यह भी पता चला कि पीएफआई विदेशों में धन जुटा रहा है और गुप्त और अवैध चौनलों के माध्यम से भारत में हस्तांतरण कर रहा है.