उडुपी. कर्नाटक का हिजाब मामला अब पूरे देश में ध्यान का केंद्र है, जिसे उडुपी के छह छात्रों द्वारा उच्च न्यायालय में ले जाया गया, जहां अब तक 11दिनों तक इस पर बहस हुई है. लेकिन इस बीच राजनीति और मीडिया ट्रायल के चलते इन छात्रों का जीना मुश्किल हो गया है. अफसोस की बात है कि इन छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी निशाना बनाया जा रहा है. किसी के पिता के होटल पर हमला हुआ और उसका भाई घायल हो गया. अब एडीपी के गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध के बाद न्याय की गुहार लगाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली छात्राओं ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि वे अपने हक के लिए लड़ रही हैं और इस मामले में उनके माता-पिता और परिवार के सदस्यों को घसीटा जा रहा है.
छात्रों में से एक आलिया असदी ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि यह महिला छात्रों से जुड़ी समस्या है. हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं. हमारे परिवार के सदस्यों को हमारी लड़ाई में घसीटने का अधिकार किसी को नहीं है. हम अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे. हमने अपना हक पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
मीडिया की भूमिका निंदनीय
आलिया ने कहा कि कॉलेज की प्रबंधन समिति ने हमारे फोन नंबर और आवासीय पते जैसे निजी विवरणों का खुलासा किया, जिसके कारण हमें अजनबियों से फोन पर धमकियां मिलीं. इसलिए हमने अपने सिम कार्ड बदल दिए. उसके बाद कुछ प्राइवेट चैनल के लोग शरीर में कैमरा छिपाकर हमारे घर आए. मीडिया बहुत आगे निकल गया है. हमारी निजता का हनन किया और रिकॉर्डिंग चैनल पर हमारे निजी जीवन की वीडियो रिकॉर्डिंग चलाई. हमारे रिश्ते का एक बहुत ही अपमानजनक पहलू उठाया. नतीजतन, हमारे सहपाठी हाजरा शिफा के पिता के होटल और उसके भाई पर हमला किया गया. इसलिए सरकार को ऐसे मीडियाकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही होटल पर हमला करने वाले आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
यह राजनीति है और कुछ नहीं
ये तो सभी जानते हैं कि हिजाब पर बैन का मुद्दा लंबा होता जा रहा है. आलिया ने कहा कि राज्य के अन्य कॉलेजों में छात्राओं को परेशान कर हिजाब के नाम पर राजनीतिक खेल खेला जा रहा है. यह सब जानबूझकर किया जा रहा है. राज्य के कई कॉलेजों में छात्राओं को हिजाब के साथ प्रवेश नहीं करने देकर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है. यह बेहद दुखद है. इसलिए हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द से जल्द अपना अंतिम फैसला देना चाहिए.
आलिया ने कहा, ‘‘हमें अदालत पर पूरा भरोसा है कि हमारे मुद्दे को पूरी तरह से समझा जाएगा और फैसला हमारे पक्ष में सुनाया जाएगा.’’
पठन-पाठन प्रभावित
एक अन्य छात्रा डायमंड का कहना है कि वह पिछले दो महीनों से घर पर ही पढ़ने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इतने तनाव और दर्द और धमकियों के साथ शांति से पढ़ाई करना संभव नहीं है.
लॉकडाउन के चलते जब ऑनलाइन क्लासेज के बाद कॉलेज शुरू हुआ, तो उचित ऑफलाइन पढ़ाई की उम्मीद थी. ऑफलाइन पढ़ना अब संभव नहीं है और कोई ऑनलाइन व्यवस्था नहीं है. इसलिए हमारी शिक्षा खतरे में है.
प्रैक्टिकल परीक्षा स्थगित
छात्रों ने पीयू एजुकेशन के डीडीपी से अपील की है कि पीयूसी की प्रैक्टिकल परीक्षाएं कोर्ट के फैसले तक टाल दें, क्योंकि हिजाब पहनकर कॉलेज जाने का मामला कोर्ट में विचाराधीन है.