नई दिल्ली. देश में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर छापेमारी और एनआईए द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया इंडिया के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस कार्रवाई पर अभी भी मुसलमानों और देश के प्रमुख धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं और मुस्लिम समुदाय को ऐसी शक्तियों के प्रति जागरूक करने की पहल शुरू की गई है. इस संबंध में शुक्रवार की नमाज से पहले देश की कई प्रमुख मस्जिदों के इमामों ने हाल ही में अपने धर्मोपदेश में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई का जिक्र किया और कहा कि मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने में पीएफआई जैसे कई कट्टरपंथी और चरमपंथी वैचारिक संगठन भी शामिल है. वे केवल भावनात्मक नारों और शब्दों से युवाओं को गुमराह कर रहे थे. उनके जैसे संगठनों ने केवल इस्लाम को बदनाम किया है.
इमाम ने धर्मोपदेश में कहा कि भारत का मुस्लिम समाज अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है. शिक्षा, रोजगार और शांति मुस्लिम उम्माह की प्राथमिकताओं में होना चाहिए. अपराध और नशीले पदार्थों से मुक्ति, महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा, बच्चों की बेहतर शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता भारत के मुसलमानों की तत्काल आवश्यकता है.
नशा न केवल रसायनों और तंबाकू के कारण होता है, बल्कि यह विचार का नशा भी है, जिसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भारत के मुस्लिम युवाओं में डालने की कोशिश की. इमामू ने कहा कि सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाकर एक अच्छा कदम उठाया है, लेकिन साथ ही यह भी उचित होगा कि जिन कट्टरपंथी संगठनों ने अतीत में लोकतांत्रिक भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की है. उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि देश का न्यायिक और लोकतांत्रिक चेहरा दुनिया के सामने आ सके. इमामों ने अपने संबोधन में कहा कि अगर जांच एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष जांच में पीएफआई के खिलाफ आरोप साबित होते हैं और वास्तव में पीएफआई और उससे जुड़े कथित अन्य संगठन आतंकवादी/राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं, तो हम पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत करेंगे. और सिर्फ 5 साल के लिए नहीं, वे हमेशा के लिए पाबंदी की मांग करते हैं.
इमामों ने कहा कि अगर देश सुरक्षित है, तो हम सुरक्षित हैं. देश किसी भी संस्था या विचार से बड़ा है और अगर कोई इस देश को नष्ट करने की बात करता है, इसकी एकता और संप्रभुता या देश की शांति की बात करता है, तो वह किसी भी धर्म से संबंधित हो, उसे सजा मिलनी चाहिए.
कादरी मस्जिद शास्त्री पार्क दिल्ली के मुफ्ती अशफाक हुसैन कादरी, सुन्नी जामा मस्जिद रतलाम के मुफ्ती बिलाल निजामी, कैसरगंज के मौलाना शम्स आलम मिस्बाही, हमीरपुर के मौलाना शाहिद मिस्बाही, मौलाना बदरुद्दीन मिस्बाही खतीब और इमाम मस्जिद आला जयपुर मौलाना सैयद लुओ निजामी ने जमात को संबोधित किया. मुहम्मद कादरी, मौलाना अंसार फैजी अजमेर, कारी हनीफ मुरादाबाद, मौलाना सखी जम्मू, मौलाना मजहर इमाम (उत्तरी दिनाज पर बंगाल), मौलाना अब्दुल जलील (पालीभाई), मौलाना समीर अहमद (रामपुर), मौलाना कारी जमाल, मौलाना अबरार, भागलपुर, मौलाना नागपुर में मुस्तफा रजा और अमन शहीद जामा मस्जिद के मौलाना तनवीर अहमद और दिल्ली में मौलाना मुशर्रफ ने इसी मुद्दे पर खिताब किया.