दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद करने का आदेश

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-02-2022
दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद करने का आदेश
दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद करने का आदेश

 

आवाज द वाॅयस / सहारनपुर

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दारुल उलूम के खिलाफ यूपी के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है. दारुल उलूम पर लोगों को गुमराह करने के लिए फतवा जारी करने का आरोप है. दारुल उलूम देवबंद द्वारा जारी एक फतवा में कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चे को असली बच्चे के समान अधिकार नहीं हो सकते. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि इस तरह के फतवे कानून का उल्लंघन करते हैं.

मामला सामने आने के बाद सहारनपुर के डीएम अखिलेश सिंह ने बच्चों के अधिकारों का हनन करने वाले अवैध फतवे की जांच पूरी होने तक दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद करने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद को नोटिस जारी किया गया है. कानूनी परीक्षण कराने के बाद इसमें जो भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी वह की जाएगी.

दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर प्रकाशित एक फतवे के संबंध में एनसीपीसीआर को एक सार्वजनिक शिकायत मिली थी. इस संबंध में आयोग द्वारा सहारनपुर के जिलाधिकारी को लिखे पत्र में देवबंद के फतवे का जिक्र किया गया है.

दारुल उलूम देवबंद वेबसाइट के 10लिंक भी साझा किए गए हैं. इनमें से एक फतवे में दारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि बच्चे को गोद लेना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन सिर्फ बच्चे को गोद लेने से मूल बच्चे का कानून लागू नहीं होगा, बल्कि इसके लिए शरिया का पालन करने वाला वयस्क बनना जरूरी होगा.

10 दिनों में देनी होगी रिपोर्ट

फतवे में आगे कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चे को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा. बच्चे को किसी भी मामले में विरासत में नहीं मिलेगा. आयोग ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि इस तरह के फतवे न केवल भूमि कानून को गुमराह करते हैं, बल्कि प्रकृति में भी अवैध थे.

भारत के संविधान में शिक्षा के अधिकार और समानता के अधिकार सहित बच्चों के मौलिक अधिकारों का प्रावधान करता है. इसके अलावा, गोद लेने पर हेग कन्वेंशन, जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है, में कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चों को जैविक बच्चों के समान अधिकार होंगे.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पत्र की एक प्रति सहारनपुर डीसी, मुख्य सचिव, यूपी, पुलिस महानिदेशक, मुख्य चुनाव आयुक्त को भी भेजी है. आयोग ने पत्र में अनुरोध किया है कि 10दिनों के भीतर मामले पर कार्रवाई रिपोर्ट भेजी जाए.

इस्लामी कानून और इस्लामिक शरिया अशरफी

दारुल उलूम देवबंद के प्रवक्ता उस्मानी अशरफ ने कहा कि फतवे इस्लामी कानून के मुताबिक जारी किए जाते हैं. ये सभी फतवे नसीहत हैं. मानो या न मानो, यह सामने वाले पर निर्भर करता है. फतवे से जुड़े कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी जवाब मांगा था और हमने जवाब दिया है.