सभी एक से बढ़कर एक: लखनऊ में गोमती नदी का किनारा किताबों से गुलजार

Story by  एटीवी | Published by  onikamaheshwari | Date 03-11-2022
सभी एक से बढ़कर एक: लखनऊ में गोमती नदी का किनारा किताबों से गुलजार
सभी एक से बढ़कर एक: लखनऊ में गोमती नदी का किनारा किताबों से गुलजार

 

लखनऊ.

 
लखनऊ में शांत बहती हुई गोमती नदी का किनारा किताबों से गुलजार है. यहां एकतरफ प्रेमचंद हैं, निराला हैं तो दूसरी तरफ विलियम शेक्सपीयर और लियो टालस्टाय. रंग-बिरंगी लाइटों से रोशन सफेद तंबूओं में सजी किताबों की महक है. स्टेज पर बैठे माइक से अपनी किताबों के किस्से सुनाते लेखक भी आपको यहां मिल जाएंगे। ये शोरगुल है किताबों के उत्सव का,जिसका नाम है गोमती पुस्तक मोहत्सव.
 
लखनऊ में 29 अक्टूबर से 6 नवंबर 2022 तक चलने वाले पुस्तक मेले में 80 स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें 200 पब्लिशर्स की 10,000 से ज्यादा किताबें मौजूद हैं.
 
लखनऊ बुक फेयर में अहमदिया मुस्लिम कम्यूनिटी के बुक सेलर शाह हरून सैफी के मुताबिक  "नए जमाने में रीडर्स का माइंडसेट भी तेजी से चेंज हो रहा है. लोग अब हिंदी, अंग्रेजी के साथ उर्दू के भी करीब आ रहे हैं. इससे उर्दू-इंग्लिश ट्रांसलेशन की किताबों की मांग बढ़ी है."

"इस्लाम और उर्दू की अहमीयत समझाती किताबों में मॉर्डन कुरान, अहमदिया आंदोलन की कहानी, द सील ऑफ प्रॉफेट जैसी किताबें यहां मौजूद हैं. इन सभी किताबों की डिमांड बहुत है." गोमती पुस्तक मोहत्सव में इस बार 'खरीदो-बेचो' स्टॉल भी लगाया गया है. इस स्टॉल पर आप पुरानी किताबों को अच्छे दाम पर बेच भी सकते हैं. 

नौ दिवसीय गोमती पुस्तक महोत्सव में किताबों के साथ-साथ कई मजेदार सेगमेंट शामिल किए गए हैं. इमनें युवा कार्नर, चिल्ड्रंस एम्फीथिएटर और लेखक मंच बनाए गए हैं। चिल्ड्रेन एम्फीथिएटर में युवा लेखक अपनी लिखी गई किताबों को प्रमोट करते हैं. यहां ओपन माइक, कहानी वाचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लेखन प्रतियोगिताएं भी होती हैं. 
 
गोमती पुस्तक मोहत्सव से जुड़ी खास बातें-
 
लखनऊ गोमती रिवर फ्रंट पर सुबह 11 से रात 8 बजे तक पुस्तक मेला लगता है.

पुस्तक मेला में प्रवेश नि:शुल्क है.

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत इस पुस्तक मेला का आयोजन किया गया है.

पहली बार राष्ट्रीय पुस्तक न्यास इसका आयोजन कर रही है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास इंडिया ने मिलकर मेला शुरू किया है.

पुस्तक मोहत्सव में आने के लिए 8 स्पेशल बसें चलाई गईं हैं. दोपहर 2 से रात 10 बजे तक ये चलाई जा रही हैं.
 
 
 
 
यहां पर सबसे पहला स्टॉल दिव्यांश पब्लिकेशन्स का है. इसके मालिक नीरज अरोड़ा ने बताया,"लखनऊ का रीडर हमेशा से आर्ट लविंग रहा है. युवा पीढ़ी की बात करें तो आजकल नई वाली हिन्दी की किताबें बहुत पॉपुलर हो रही हैं. इसमें दिव्य प्रकाश दूबे, नीलोत्पल मृणाल, मानव कौल जैसे यूथ राइटर्स की किताबें शामिल हैं. इनकी लिखावट यूथ कनेक्टिंग हैं, इसलिए सबसे ज्यादा इनकी किताबें बिक रही हैं."
 
बुक स्ट्रीट पर सबसे बड़ा किताबों का स्टॉल प्रभात प्रकाशन का है. यहां "अरुण तिवारी की विंग्स ऑफ फायर, शांतनु गुप्ता की योगी गाधा, धर्मवीर भारती गुनाहों का देवता और दिनकर की रश्मिरथी की डिमांड काफी ज्यादा है. युवा पाठकों को मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का उर्दू अनुवाद काफी पसंद आ रहा है. नागार्जुन, वीरेन डंगवाल की कविताओं की किताबें सबसे ज्यादा बिक रही हैं." “पुस्तक मेले में 50 रुपए से लेकर 15 हजार तक की किताबें हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि आप सभी किताबों को मुफ्त में जितनी देर चाहें पढ़ सकते हैं.”
 
पुस्तक मोहत्सव में इस बार डॉ. सोहिल माकवाना की किताब 'मर्डरम' और दिनेश वीरा की किताब 'कृष्णा प्रोफेसी' की खूब चर्चा हो रही है. युवा राइटर रिषभ ने बताया,"अगर आपको मर्डर मिस्ट्री पसंद हैं. तो एकबार मर्डरम जरूर पढ़िए. कैसे कठिन इंवेस्टिगेशन के बाद शातिर अपराधी पकड़ा जाता है. पुलिस को चमका देने के लिए किस-किस तरह के क्राइम होते हैं. ये सब आपको इस किताब में मिलेगा.
 
दिनेश वीरा की किताब 'कृष्णा प्रोफेसी' में 3 दोस्त टाइम ट्रेवल करके द्वापर युग में जाते हैं। तीनों अपनी आंखों के सामने महाभारत युद्ध होते हुए देखते हैं। बाद में वापस आकर नई तरह से वे इस कहानी को दोबारा लिखते हैं। कृष्णा प्रोफेसी में बिलकुल नए अंदाज में महाभारत की कहानी लिखी गई है. लोगों को ये बेहद पसंद आ रही है.