आवाज द वाॅयस / श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर सरकार के आठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है. सभी आठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार और कदाचार के लिए निकाल दिया गया है. जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा विनियम के अनुच्छेद 226 (2) के तहत सभी कर्मचारियों को निकाल दिया गया है.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने रविंदर कुमार भट्ट, मोहम्मद कासिम वानी, नूर आलम, मोहम्मद मुजीब-उर-रहमान, डॉ फैयाज अहमद, गुलाम मोहि-उद-दीन, राकेश कुमार और परशुतम कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया. इससे पहले 16 अक्टूबर को, पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी के पोते और डोडा के एक शिक्षक को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का कथित रूप से समर्थन करने के लिए सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.
उपराज्यपाल ने उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के तहत निहित विशेष शक्तियों के तहत तथ्यों और परिस्थितियों की जांच करने के बाद बर्खास्त कर दिया. बर्खास्त कर्मचारी संविधान के इस अनुच्छेद के तहत अपनी बर्खास्तगी को केवल जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं.
इस बीच उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की एक इंच भी कृषि भूमि किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के नए भूमि नियमों के अनुसार यहां कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि भूमि नहीं खरीद सकता है.
अगर कोई इसे खरीद सकता है तो उसे किसान होना चाहिए. यह बात उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को यहां अफाक डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स में आयोजित ‘एप्पल फेस्टिवल‘ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत शोर होता है कि यहां की जमीन बाहरी लोगों को दी जा रही है.‘‘ मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं कि क्या किसी गांव में एक इंच जमीन किसी बाहरी व्यक्ति को दी गई है, कृपया हमें बताएं. उपराज्यपाल ने कहा, ‘मैं जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं कि किसी किसान की जमीन का एक इंच भी बाहरी व्यक्ति ने नहीं लिया है.