नूपुर का बयान और ‘सिरकलम’ दोनों अस्वीकार्यः नकवी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-07-2022
मुख्तार अब्बास नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नूपुर शर्मा का बयान खेदजनक है, लेकिन क्या आप इस बयान के बदले में किसी का गला काटेंगे ? केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि घटना उदयपुर या अन्य जगहों पर हुई. यह बहुत आपत्तिजनक है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि समस्या नूपुर शर्मा से है. नूपुर शर्मा की बात को कोई हल्के में ले रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी का गला काट देंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘यह इस्लामिक देश नहीं है, यह भारत है, यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है. हम नूपुर के बयान को सही नहीं ठहरा रहे हैं. गला काटना आतंकवाद है, बयान देना आतंकवाद नहीं. लाशों को बेगुनाहों के सामने रखना आतंकवाद है. मैं यह नहीं कह रहा कि नूपुर सही हैं. मैं कह रहा हूं कि उन्होंने जो कहा वह पूरी तरह गलत है. कोई इसे स्वीकार नहीं कर सकता, लेकिन आप किसी का गला नहीं काट सकते.

मुख्तार अब्बास नकवी ने आगे कहा कि आप हिजाब के भयानक हंगामे को भूल गए हैं. क्या हिजाब का भयानक हंगामा योजनाबद्ध तरीके से हुआ और जो हिजाब के इस भयानक हंगामे में कूदता है, अल-कायदा कूदता है, तालिबान कूदता है और मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा और विकास को रोकने की कोशिश करता है.

ऐसे में हमारे देश के लोग भी इसमें कूद पड़ते हैं. हमारे देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी के पहले दो नेता बिकिनी पहनकर किसी के सामने कूद पड़ते हैं.

मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह सच है कि इस सरकार ने विकास में कोई फर्क नहीं किया है. हम इसके लिए काम कर रहे हैं. अगर पिछले 8 साल के शासन की बात करें, तो जमीनी हकीकत यह है कि इस देश का इतिहास आतंकवाद से लेकर सांप्रदायिक उन्माद तक है और भागलपुर जैसे दंगे डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक चले, जिसमें हजारों लोग मारे गए. लोग भाग गए. भिवंडी दंगों ने पूरे करघा कारोबार को खत्म कर दिया था.

भिवंडी से मिलियाना तक, मिलियाना को देखें, जहां बचे लोगों को ट्रकों में रखा गया था. सब मर चुके थे. यह 5,000 से अधिक दंगों का एक लंबा इतिहास है.

इन 8 वर्षों के दौरान सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं बहुत कम रही हैं. कश्मीर में कुछ घटनाओं को छोड़कर देश के किसी भी हिस्से में आतंकवाद की कोई घटना नहीं हुई है. ऐसा हुआ करता था कि कभी कलकत्ता में हंगामा होता है, कभी लाजपत नगर में विस्फोट होता है, कभी मुंबई में विस्फोट होता है, तो कभी हैदराबाद की मक्का मस्जिद में, तो कभी अजमेर शरीफ में विस्फोट होता था. यानी डेढ़ महीने के अंतराल पर पूरे देश में विस्फोट हुए, जिनमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए.

पिछले 8 सालों से देश में अमन-चैन का माहौल था, लेकिन दुर्भाग्य से मोदी को मारने वाली ब्रिगेड उनकी बेचैनी का कारण बनी. आपने देखा होगा कि जब भारत में कोई मुद्दा होता है, तो उसके आसपास के लोग, यहां तक कि अल कायदा भी, उसके बारे में बात करना शुरू कर देते हैं.

अगर हम 2014 के बाद से देखें, तो ये हारे हुए राजनेता एक दिन चुप भी नहीं बैठे हैं. उन्होंने सोचा कि मोदी कैसे जीतेंगे. जनता का जनादेश मोदी को कैसे दिया जा रहा है? तो मोदी को कोसने का ये जुनून भारत को कोसने की हद तक पहुंच गया है.