जनसंख्या नियंत्रण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को नोटिस

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-09-2022
जनसंख्या नियंत्रण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को नोटिस
जनसंख्या नियंत्रण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को नोटिस

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को याचिका पर नोटिस जारी किया है. याचिका मंे केंद्र को नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से अधिक जनसंख्या की समस्या को कम करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.

जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने सरकार से जवाब मांगा और मामले को इसी तरह की लंबित याचिकाओं के साथ टैग कर दिया. अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव दांडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि हर साल जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं. बढ़ती आबादी को बनाए नहीं रख सकते हैं.

जनहित याचिका में कहा गया कि जब बेरोजगारी और गरीबी, खाद्य आपूर्ति की सीमा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं आदि में भारी वृद्धि होती है, तो देष दूसरा रास्ता नहीं देख सकता है.जनहित याचिका में अधिक जनसंख्या की समस्या के कारण भारत के लाखों नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी नियम, विनियम और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया कि अधिक जनसंख्या सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जो लाखों भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली कई गंभीर समस्याओं को जन्म देती है.

याचिका में सरकार को हर महीने के पहले रविवार को स्वास्थ्य दिवस के रूप में घोषित करने और गर्भनिरोधक गोलियों, कंडोम, टीकों आदि के वितरण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है. ईडब्ल्यूएस और बीपीएल परिवारों को पोलियो के टीके लगवान की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया, विकल्प में, भारत के विधि आयोग को तीन महीने के भीतर जनसंख्या नियंत्रण उपायों पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने और प्रतिवादी (सरकार) को उचित विचार के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दें.

याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने महसूस किया, मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार, स्वच्छ हवा का अधिकार, पीने के पानी का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, आश्रय का अधिकार, आजीविका का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे बुनियादी मौलिक अधिकार संविधान के तहत गारंटीकृत हैं.

जब तक प्रतिवादी अधिक जनसंख्या की समस्या को कम करने के लिए संविधान (एनसीआरडब्ल्यूसी) के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा किए गए प्रस्तावों पर उचित विचार नहीं करते, तब तक मायावी बनी रहेगी.

वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.39 बिलियन के करीब है जो विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.8 है. दूसरी तरफ भारत के पास केवल 2 प्रतिषत कृषि योग्य भूमि और विश्व के पीने के पानी का केवल 4 प्रतिशत है. याचिका में दावा किया गया है कि अमेरिका में हर दिन 10,000 बच्चे पैदा होते हैं जबकि भारत में हर दिन 70,000 बच्चे पैदा होते हैं.