बेंगलुरु में 72 रोहिंग्याओं को तत्काल निर्वासित करने की योजना नहींः कर्नाटक

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-10-2021
बेंगलुरु में 72 रोहिंग्याओं को तत्काल निर्वासित करने की योजना नहींः कर्नाटक
बेंगलुरु में 72 रोहिंग्याओं को तत्काल निर्वासित करने की योजना नहींः कर्नाटक

 

नई दिल्ली. भाजपा के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बेंगलुरु शहर में 72 रोहिंग्या हैं, लेकिन उन्हें वापस भेजने की तत्काल कोई योजना नहीं है. राज्य सरकार की प्रतिक्रिया भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर 2017 जनहित याचिका पर आई, जिन्होंने अवैध रोहिंग्याओं को निर्वासित करने के लिए शीर्ष अदालत के निर्देश की मांग की थी.

राज्य सरकार ने एक लिखित जवाब में कहा, ‘बेंगलुरु शहर की पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी शिविर या हिरासत केंद्रों में रोहिंग्याओं को नहीं रखा है. हालांकि, बेंगलुरु शहर में पहचाने गए 72 रोहिंग्या विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और बेंगलुरु शहर की पुलिस ने उनके खिलाफ अब तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है.’

उन्होंने कहा कि उन्हें निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं है.

राज्य सरकार ने शहर के उत्तर-पूर्वी मंडल में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के नाम भी दिए. आगे कहा गया है कि इन सभी रोहिंग्याओं को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा अलग-अलग नंबर दिए गए हैं, मगर 12 साल से कम उम्र के लोगों को छोड़कर.

कर्नाटक सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि याचिका या तो कानून या मामले के तथ्यों पर चलने योग्य नहीं है और यह भी योग्यता से रहित है. सरकार ने कहा, ‘अपील के लिए विशेष अनुमति न तो कानून में और न ही मामले के तथ्यों पर बनाए रखने योग्य है. याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए याचिका को खारिज किए जाने योग्य है.’ यह याचिका अधिवक्ता वी.एन. रघुपति के माध्यम से दायर की गई थी.

उपाध्याय ने तर्क दिया था कि घुसपैठियों की आमद ने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है. उन्होंने अदालत से केंद्र और राज्य सरकारों को एक साल के भीतर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं सहित सभी अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश जारी करने को कहा था.

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से अवैध आव्रजन और घुसपैठ को संन्न्ोय गैर-जमानती और गैर-शमनीय अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन करने का निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया.