नई दिल्ली. जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लॉन्चपैड और प्रशिक्षण शिविरों में 350-400 आतंकवादी मौजूद हैं.
भारतीय सेना की वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, सीओएएस ने कहा कि पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है.
सेना प्रमुख ने कहा, खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर लंबे समय तक तनावपूर्ण स्थिति के बाद पिछले साल फरवरी में डीजीएमओ की अंडरस्टेंडिंग का उद्देश्य पारस्परिक रूप से लाभप्रद और स्थायी शांति हासिल करना था.
शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है.
भारतीय सेना प्रमुख ने कहा, हालांकि नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च पैड में आतंकवादियों की एकाग्रता में वृद्धि और बार-बार घुसपैठ की कोशिशों ने एक बार फिर उनके (पाकिस्तान के) नापाक इरादों को उजागर कर दिया है.
उन्होंने कहा, हमने अपनी ओर से आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाने का संकल्प लिया है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में संपूर्ण सरकार के ²ष्टिकोण से सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा कि छद्म आतंकवाद तंजीम का मुखौटा लगाकर आतंकवाद को एक स्वदेशी रंग देने के प्रयास बुरी तरह विफल रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्वों ने अल्पसंख्यकों और गैर स्थानीय लोगों को निशाना बनाकर घाटी में शांति भंग करने के अपने प्रयासों को फिर से सक्रिय कर दिया है.
नरवणे ने कहा, हालांकि, हम इन चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम हैं.
सियाचिन के बारे में बात करते हुए नरवणे ने कहा कि सियाचिन मामला पाकिस्तान की एकतरफा कोशिशों के कारण हुआ है. यह बताते हुए कि कैसे सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया हो सकती है, अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर के विसैन्यीकरण के खिलाफ नहीं है.
उन्होंने कहा, लेकिन एक पूर्व शर्त पाकिस्तान द्वारा वास्तविक जमीनी स्थिति रेखा की स्वीकृति है.