इस साल कांवड़ यात्रा नहींः सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
कांवड़ यात्रा नहीं
कांवड़ यात्रा नहीं

 

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने इस साल ‘कांवड़ यात्रा’ को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया है और सभी कांवड़ संघों ने कोरोना के मद्देनजर इस पर सहमति व्यक्त की है.

यूपी सरकार का यह रुख सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच ‘कांवड़ यात्रा’ की अनुमति देने के अपने फैसले पर ‘पुनर्विचार’ करने के लिए एक अल्टीमेटम देने के दो दिन बाद आया है.

आज की सुनवाई में उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह दूसरा साल है जब महामारी के कारण यात्रा रद्द की गई है.

वैद्यनाथन ने कहा कि अगर स्थानीय स्तर पर कोई भक्त किसी स्थानीय मंदिर में जाता है, तो इसका मतलब ‘यात्रा’ बिल्कुल नहीं है और उसे कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.

दिल्ली और उत्तराखंड पहले ही ‘कांवड़ यात्रा’ रद्द कर चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कोविड-19 जोखिमों पर वार्षिक तीर्थयात्रा रद्द करने के लिए आज के समय तक का समय दिया.

न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन ने शुक्रवार को कहा कि अदालत का प्रथम दृष्टया यह मानना है कि ‘कांवड़ यात्रा’  के फैसले का हम सभी से संबंध है और यह जीवन के मौलिक अधिकार के केंद्र में है. भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएँ चाहे, वे धार्मिक हों, इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन हैं.

जस्टिस नरीमन ने आगे कहा, “यूपी राज्य इससे आगे नहीं बढ़ सकता. 100 फीसदी.” जिस पर उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुए वैद्यनाथन ने पीठ से कहा कि अधिकारियों को शीर्ष अदालत के विचारों से अवगत कराया जाएगा और हम अदालत को इस बात से अवगत कराएंगे कि क्या कोविड 19 के बीच भौतिक ‘कांवड़ यात्रा’ आयोजित करने पर पुनर्विचार किया जा सकता है.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं है और उन्होंने कड़ी शर्तों के तहत सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के साथ प्रतीकात्मक तरीके से ‘कांवड़ यात्रा’ की अनुमति दी है.