नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में भारतीय रक्षा संपदा सेवा (आईडीईएस) के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर भारत के दृढ़ रुख और देश के भविष्य को आकार देने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
चल रहे ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए, धनखड़ ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। भारत ने हमेशा शांति और संवाद को प्राथमिकता दी है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।"
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जोर देकर कहा कि सीमा पार से जब भी उकसाया गया, देश ने "सटीकता और मजबूती" से जवाब दिया है।
"जब भी सीमा पार से उकसाया गया, भारत ने सटीकता और मजबूती से जवाब दिया है। भारत के मूल्य अहिंसा में निहित हैं, लेकिन राष्ट्र आवश्यकता पड़ने पर अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में संकोच नहीं करेगा।"
उपराष्ट्रपति ने युद्ध के तकनीक-संचालित प्रतिमान की ओर बढ़ने का उल्लेख किया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और उन्नत प्रणालियों की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, "देश अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और अन्य उन्नत तकनीकों के उपयोग के साथ तकनीक-संचालित युद्ध की ओर बढ़ रहा है।"
हालांकि, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ज़ोर देकर कहा कि नैतिक मूल्यों पर अडिग रहने के लिए तकनीक को "मानवीय स्पर्श" के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "सभी तकनीकों में मानवीय स्पर्श होना चाहिए। भारत के युवाओं को देश के विकास में निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए।
35 वर्ष से कम आयु की 65% आबादी के साथ, भारत के युवा इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत अब केवल आर्थिक विकास का लक्ष्य नहीं रख रहा है, बल्कि एक विकसित भारत का लक्ष्य रख रहा है। यह केवल एक सपना नहीं है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय यात्रा का अगला चरण है।"
कोचिंग संस्कृति और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा, "नई शिक्षा नीति इस मानसिकता को बदलने का एक प्रयास है, जो कौशल निर्माण और चरित्र विकास पर केंद्रित है।"
उन्होंने अधिकारियों से "विकास कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, तकनीक का प्रभावी उपयोग करने और जनता के साथ खुला संवाद बनाए रखने" का आग्रह किया। उन्होंने विशेष रूप से पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया।