निकिता और सायराः विदेशों में भारतीय ‘एकजुटता’ की मिसाल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-09-2021
भारतीय सभ्यता और एकजुटता का प्रतीक
भारतीय सभ्यता और एकजुटता का प्रतीक

 

शाह इमरान हसन/नई दिल्ली

भारत की सभ्यता और राष्ट्रीय एकता दुनिया में एक मिसाल है. इसकी एकता और भाईचारे को कोई कितना भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे, लेकिन इसकी महानता और ऊंचाई अजेय है. हम देश में हिंदू-मुस्लिम एकता के अनगिनत उदाहरण देख रहे हैं. बुरे माहौल में भी, ऐसी घटनाएं और चेहरे या पात्र सामने आते हैं, जो इस देश की असली सुंदरता को कलंकित नहीं होने देते हैं. 

आज जहां भारत में सकारात्मक खबरें हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानियों पर आधारित हैं, वहीं दूसरे देश में रहने वाले भारतीयों (Non-Resident Indian) की दोस्ती और रिश्ते भी हैं. यह एनआरआई या अनिवासी भारतीय को संदर्भित करता है.

आइए आज हम आपको एक ऐसे एनआरआई युगल से मिलवाते हैं, जो दुनिया में भारतीय एकजुटता और सद्भाव की मिसाल कायम कर रहे हैं. जिन्होंने बचपन से लेकर किशोरावस्था तक एक साथ समय बिताया और अब न केवल बिजनेस पार्टनर के रूप में सफल हो रहे हैं, बल्कि एक मिसाल भी कायम कर रहे हैं.

यह जोड़ी है निकिता शंकर और सायरा हसन की, मध्य पूर्व में रहने वाली दो सहेलियों की. उनका बचपन शारजाह की गलियों और स्कूलों में एक साथ बीता, फिर उन्होंने एक साथ क्या किया है?

निकिता शंकर ने एनआईटी (कलेक्ट) से प्रौद्योगिकी में स्नातक की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने आईआईएम रोहतक से डेटा एनालिटिक्स में एक कोर्स पूरा किया, जबकि उनकी दोस्त सायरा हसन ने शारजाह में अमेरिकी विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

दोनों सहेलियों ने अपनी-अपनी प्रवृत्ति के अनुसार दो अलग-अलग कोर्स किए, लेकिन अब दोनों एक साथ काम कर रही हैं. हालांकि उनके विचार और शिक्षा अलग हैं, फिर भी वे दोनों अपनी प्यारी मातृभूमि भारत की सेवा करने की सोच रही हैं. साथ काम कर रही हैं.

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साथ में ऊँची उड़ान


अनिवासी भारतीयों की समस्या

मध्य पूर्व में पली-बढ़ी निकिता और सायरा को बचपन से ही पता था कि एनआरआई समुदाय के लिए भारतीय सामान हासिल करना कितना मुश्किल है. 2017 में ग्रेजुएशन करने के बाद दोनों ने एक वेबसाइट (shoppre.com) की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को विदेशों में भारतीय माल की आपूर्ति सुविधा प्रदान करना था.

ध्यान रखें कि शापर एक ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और पैकेज समेकन (shipping and package consolidation) कंपनी है, जो हजारों भारतीय शॉपिंग साइटों तक पहुंच प्रदान करती है.

एक साक्षात्कार में, निकिता ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स सबसे अच्छी तकनीक और बुनियादी ढांचे के साथ तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अभी भी विदेशों में शिप नहीं करते हैं.

इसलिए निकिता और सायरा दोनों ने फैसला किया कि वे भारतीय सामान को विदेशी खरीदारों के लिए आसानी से सुलभ बनाने के लिए एक सेतु का काम करेंगे.

शापर कैसे काम करती है?

निकिता और सायरा इस स्टार्टअप की खास बात यह है कि इस वेबसाइट की मदद से वैश्विक उपभोक्ताओं तक भारतीय सामान पहुंचाना आसान हो गया है. विदेशी उपभोक्ताओं को शॉपर के माध्यम से अपना माल ऑर्डर करना आसान हो रहा है.

इस संबंध में, निकिता ने कहा कि शुरू में मुश्किलें थीं, लेकिन एक साल बाद हमें विभिन्न छोटे व्यवसायों से ऑर्डर मिलने लगे, जो नियमों, सीमा शुल्क और निर्यात प्रबंधन के मामले में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे.

जैसे ही उन्हें ऑर्डर मिलने लगे, उन्होंने छोटे व्यवसायों के साथ काम करना शुरू कर दिया. इसकी खास बात यह है कि व्यापारी लोग अपने ऑर्डर को 20 दिनों तक मुफ्त में शापर के माध्यम से स्टोर कर सकते हैं. इससे उन्हें एक लाख रुपये तक की बचत होती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम 140 देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

140 देशों में से, सबसे अधिक मांग संयुक्त राज्य अमेरिका (38 प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (10.5 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (6.8 प्रतिशत) जैसे देशों से आती है.

इस संबंध में निकिता का कहना है कि जो लोग सामान लेने के लिए यात्रा करते थे या दोस्तों और रिश्तेदारों से कुछ सामान भेजने के लिए कहते थे, वे अब हमारे प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं.

हालांकि लॉजिस्टिक्स के मुद्दे थे, लेकिन किसी भी देरी के संबंध में ग्राहकों के साथ उचित संचार ने उनके लिए अच्छा काम किया है.

निकिता और सायरा संयुक्त रूप से कहते हैं कि भारत में प्रतिस्पर्धा कम है.

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सभ्यता एक उदाहरण है


ध्यान रखें कि चीन की अलीबाबा और हाल ही में बनी सैन फ्रांसिस्को स्थित कंपनी फेयर जैसी कंपनियां वर्तमान में एक थोक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर काम कर रही हैं.

वह कहती हैं कि शापर की टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते नियमों और विनियमों की लगातार निगरानी कर रही है, ताकि उनका काम बेहतर हो सके. वह भारतीयों के बीच एक सेतु का काम कर रही है. वह इस क्षेत्र में और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

निकिता आगे कहती हैं कि अगला कदम यह देखना है कि खरीदारों और विक्रेताओं को कैसे जोड़ा जाए और उन्हें एक मंच पर एक साथ लाया जाए.

वह सलाह हमेशा देती है. यही है कि न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (Minimum Viable Product) की शक्ति को कभी कम मत समझो, उस मूल समस्या को तोड़ो, जिसे आप हल करने की कोशिश कर रहे हैं और मौजूदा बुनियादी ढांचे के साथ एक पायलट और कदम से कदम के रूप में काम करते हैं. अंदर से रचनात्मक रुझान बनाएं.

उनका कहना है कि आप किसी भी सकारात्मक सोच की शुरुआत पहले दिन से कर सकते हैं.