कोलकाता. जमात-ए-इस्लामी (जेआईएच) के अध्यक्ष सआदतुल्ला हुसैन ने कहा कि देश में इस्लाम के प्रति घृणा के बढ़ते माहौल से डरने या घबराहट होने के बजाय देश को सकारात्मक होना चाहिए. आज की स्थितियां सबसे अंधेरे रात की तरह हैं, यह अंधेरा बहुत जल्द खत्म होने जा रहा है. उन्होंने मुसलमानों को परिस्थितियों से डरने के बजाय सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया है और कहा है कि अपने दैनिक जीवन में पारदर्शिता लाएं और ईमानदारी को अपनाएं. समाज को सुधारने के लिए पहल का हिस्सा बनें.
कोलकाता के घड़ी सभागार में एक सभा को संबोधित करते हुए, जीआईएच के अध्यक्ष ने मुसलमानों को इस्लामी शिक्षाओं को सख्ती से लागू करने की सलाह दी, जो दूसरों को प्रभावित करेगी.
धर्म संसद के भाषणों सहित मुस्लिम विरोधी घृणा की बढ़ती संख्या के कारण गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए हुसैन ने कहा कि मुश्किल समय को नियंत्रित करने से पहले यह एक नई बात नहीं है. उन्होंने अल्लामा इकबाल की कविताओं को संदर्भित किया, अगर आसमानों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा, फिर मातम क्यों? क्योंकि सुबह एक लाख सितारों के खून से निकलती है. उन्होंने कहा कि अतीत में हिंदुस्तान में इस्लाम सूफियों और व्यापारियों के माध्यम से फैला. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने किरदार से दूसरों को इस्लाम से प्रभावित किया.
हुसैन ने कहा कि अपने व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक मामलों में इस्लामी शिक्षाओं को अपनाने के अनुसार, उन्हें अपने दैनिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी को अपनाना चाहिए.
उन्होंने चुनौतियों को अवसरों में बदलने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमें समाज को सुधारने की पहल करनी चाहिए.