राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-औरंगाबाद
यहां के शिवगंज में प्रशासन ने एक मंदिर तोड़ दिया. मंदिर तोड़े जाने से न केवल ंिहंदू समुदाय में रोष छा गया, बल्कि इससे मुस्लिम भाई भी द्रवित हुए. मुस्लिमों ने यहां के जामा मस्जिद के सामने मंदिर तोड़े जाने के विरोध में प्रदर्शन किया.
जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार शिवगंज में एनएच-दो के किनारे एक विशाल मंदिर स्थित है. प्रशासन एनएच-दो का विस्तार करना चाहता है. इसलिए प्रशासन के प्रवर्तदन दस्ते ने मंदिर को तोड़ दिया.
यह मंदिर गांव के लोगों द्वारा बनवाया गया था. लगभग 15साल पहले भी मंदिर को गिराने की बात उठी थी, तो पूर्व सांसद श्यामा सिंह के हस्तक्षेप से मंदिर की तोड़फोड़ रुक गई थी.
इस बार प्रशासन ने कोई शोर-शराबा किए बिना आनन-फानन में मंदिर तोड़ दिया.
इसके खिलाफ ग्रामीणों में तो रोष था ही, मुस्लिम समुदाय को भी यह बात नागवार गुजरी.
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जामा मस्जिद के बाहर खड़े होकर मंदिर तोड़े के खिलाफ प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन में मो. शाहनवाज रहमान उर्फ सल्लू खान, वार्ड पार्षद सिकंदर हयात, मो. जुल्फिकार, मो. लाड़ले, शहाबुद्दीन उर्फ नन्हे कुरैशी, मो. इबरार, मो. नईम, नत्थू कुरैशी, मो.अनवर आलम, मो. इरशाद आलम, मो. कमाल, टिक्का खान, आरिफ खान, मो. जीशान,मो. इफ्तेखार, मो. चांद, मो. साहिल, मो. अयूब, मो. परवेज, मो. तौफीक, मो.खुर्शीद, मो. अरमान, मो. जसीम अंसारी आदि शामिल हुए.
इन मुस्लिम नेताओं का कहना था कि कोई भी धार्मिक स्थल हो, तो उसे हटाने से पहले धार्मिक स्थल से जुड़े लोगों से प्रशासन को मशविरा करना चाहिए था.
मुस्लिम नेताओं ने कहा कि मंदिर हटाना आवश्यक भी था, तो प्रशासन को ससम्मान मंदिर को अन्यत्र स्थानांतरित करना चाहिए था.
उनका यह भी कहना है कि पटना उच्च न्यायालय में मंदिर तोड़े जाने के खिलाफ याचिका दायर की जाएगी और वे इंसाफ मिलने तक इस पर आंदोलन जारी रखेंगे. हमें न्यायालय का निर्णय मंजूर होगा.