भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में पहली बार आदिवासी गौरव दिवस पर एक सम्मेलन को संबोधित कर सकते हैं. इस दौरान आदिवासियों के लिए 15 विकास योजनाओं की घोषणा करने की उम्मीद है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती मनाने का निस्संदेह राजनीतिक अर्थ है, खासकर मध्य प्रदेश में जहां 230 विधानसभा सीटों में से 47 आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं.
उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार शाम को एक बैठक बुलाकर व्यवस्थाओं की समीक्षा की है.
इस मेगा इवेंट से भाजपा आदिवासी समुदाय में अपनी पहुंच मजबूत करने की कोशिश करेगी.
राज्य के प्रमुख आदिवासी नेता बिसाहूलाल सिंह ने कहा, ‘आजादी के बाद पहली बार भारत में आदिवासी गौरव दिवस मनाया जाएगा. हर साल बिसरा मुंडा के जन्मदिन पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, लेकिन वे मुख्य रूप से आदिवासी सम्मेलन थे. हमें खुशी है कि इसकी शुरूआत मध्य प्रदेश से हो रही है.’
शिवराज सिंह कैबिनेट में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल ने कहा कि राज्य सरकार ने वन योजना में कुछ बदलाव किए हैं, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.
‘नई योजना के तहत, जो आयोजन के दौरान घोषित की जानी है, समुदाय को वन भूमि की सुरक्षा, लकड़ियों की बिक्री, अन्य के अलावा प्राथमिकता दी जाएगी.’
उन्होंने आगे कहा कि एसटी के लिए आरक्षित 47 विधानसभा सीटें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य के लगभग 100 और निर्वाचन क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं.
2023 के अगले विधानसभा चुनाव में कैसे ‘आदिवासी गौरव दिवस’ भाजपा की मदद करने जा रहा है, इस पर जवाब देते हुए बिसाहूलाल ने कहा, ‘मैं 1980 से राजनीति में हूं और इसलिए मैं कह सकता हूं कि अधिकतम एसटी सीटें जीतने वाली पार्टी सरकार बनाती है. पिछले चुनाव (2018) में, कांग्रेस ने 31 आदिवासी बहुल सीटें जीती थीं और भाजपा 15-16 सीटों तक सीमित थी, यही वजह थी कि कांग्रेस सरकार बना सकी.’