आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
माताओं के एक समूह ‘वॉरियर मॉम्स’ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से दिल्ली की जहरीली हवा के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है। समूह का कहना है कि दिल्ली की हवा अब एक “स्थायी और रोके जा सकने वाली” समस्या बन चुकी है, जो बच्चों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
एनएचआरसी के एक सदस्य को सौंपे गए ज्ञापन में ‘वॉरियर मॉम्स’ ने चेतावनी दी कि अक्सर ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच रहने वाली शहर की वायु गुणवत्ता हर साल एक ऐसी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा का रूप ले रही है जो लाखों बच्चों में फेफड़ों और संज्ञानात्मक क्षमता को अपरिवर्तनीय नुकसान पहुंचा रही है।
समूह ने कहा कि दिल्ली के बच्चे इस संकट का सबसे बड़ा बोझ उठा रहे हैं। बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषक कणों का संबंध दमा, श्वसन संक्रमण, फेफड़ों की क्षमता में कमी, बौनापन (स्टंटिंग), समय से पहले जन्म और बच्चों में संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट से जुड़ा है।
स्थिति को ‘‘सिर्फ पर्यावरणीय समस्या नहीं बल्कि अधिकारों का मुद्दा’’ बताते हुए समूह ने कहा कि राज्य संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत अपने दायित्वों को निभाने में विफल हो रहा है और बच्चों के अधिकारों से जुड़े भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का भी पालन नहीं कर पा रहा है।