पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हैं मोहम्मद मारूफ

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 04-06-2021
 मोहम्मद मारूफ
मोहम्मद मारूफ

 

संदेश तिवारी / कानपुर

कानपुर जनपद के भोगनीपुर गांव निवासी पर्यावरण संरक्षण और अन्य सामाजिक गतिविधियों में अपनी भागीदारी निभाने वाले जिले के मोहम्मद मारूफ को गांधी पीस फाउंडेशन की ओर से नेपाल में सम्मानित किया गया था. इस दौरान व्यक्तिगत कारणों के चलते वे सम्मान कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, जिनका सम्मान फाउंडेशन की ओर से उन्हें भेजा गया था. अभी जिले में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर उनके द्वारा पौधा रोपण किया जा रहा है. इसके लिए अपनी नर्सरी बनाई हुई है.

पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण सहित समाज के अन्य क्षेत्रों में अपनी भागीदारी से पहचान बनाने वाले जिले के मोहम्मद मारूफ को गांधी पीस फाउंडेशन, नेपाल की ओर से एक साल पूर्व चयन किया गया था. एक सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रण पत्र भेजे गए थे. जिसमें पर्यावरण मित्र मो. मारूफ को पत्र भेजा गया था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों के चलते वे सम्मान समारोह में शामिल नहीं हो सके. इस समारोह कार्यक्रम में मो, मारूफ को गांधी पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में शामिल न हो सके पर्यावरण मित्र मोहम्मद मारूफ  का सम्मान प्रमाण पत्र उनके साथी राजेश शर्मा के माध्यम से फाउंडेशन ने भिजवाया था.

मोहम्मद मारूफ कहते हैं कि प्रदूषण की मार से कराह रहेे पर्यावरण को कोरोना लॉकडाउन का वरदान मिला है. इससे हवा की गुणवत्ता सुधरी है, तो बारिश ने उसमें चार-चांद लगा दिए हैं. पेड़-पौधों से धूल-गर्द की चादर हट गई है और हरियाली चमककर आंखों को सुकून दे रही है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) व पीएम-2.5 की मात्रा घटकर 43 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब पहुंच गई, जबकि महीने भर पहले यह 200 व उससे ऊपर दर्ज की जा रही थी. आने वाले कुछ दिनों तक मौसम का मिजाज ऐसा ही रहता है, तो प्रदूषण और घटेगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रदूषण के साथ तापमान में भी आने वाले 15 दिनों तक बहुत बढ़त नहीं होगी. प्रदूषण थमने पर अब प्रकृति लम्बे समय तक सेहतमंद रह सकती है.  पीएम-2.5 की मात्रा घटकर इतनी कम हो गई है कि अब यह हानिकारक नहीं है. वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाने का मुख्य कारक होता है. इससे निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन म्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों से पर्यावरण बचा रहा. इसके अलावा चारों ओर से बंद किए बगैर होने वाले निर्माण कार्य भी पीएम-10 बढ़ाते हैं. कोरोना कर्फ्यू के कारण वह भी नहीं हुआ.

वृक्षों की कमी से फैल रही बीमारियां

मारूफ के मुताबिक लोग शहरों में शुद्ध वायु के लिये तरसते हैं. सुबह उठकर पार्क की तरफ जाते हैं, क्योंकि पक्के बंग्लों व घरों के बीच वृक्षों की छाया तक देखने को नहीं मिलती, तो शुद्ध हवा बहुत बड़ी बात है, बल्कि बड़ी कम्पनी, फैक्ट्रियों व चिमनियों से उठता धुआं श्वांस द्वारा लोगों के शरीर में जरूर प्रवेश कर रही है, जिससे लोगों का जीना बेहाल है। अभी हाल में ही वायु प्रदूषण के चलते बीमारियों ने अपना घर बना लिया है. लोग घरों से अस्पताल पहुंच गये हैं तथा जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. ऐसे में शहरी पर्यावरण को शुद्ध रखना बढ़ी चुनौती है. उनका कहना है कि जिन लोगों के घरों में खाली परिसर पड़ा हुआ है. वो लोग उस स्थान पर वृक्ष लगायें, क्योंकि ये हम सभी का दायित्व है और जीने के लिये आक्सीजन सभी की जरूरत है और कोरोना महामारी में उन्हें राहत मिलेगी. वहीं, पर्यावरण संरक्षण के लिये पौधे रोपने तथा हरे वृक्षों की कटान रोकना आवश्यक है.

उनके मुताबिक लगातार बढ़ते संक्रमितों की संख्या और ऑक्सीजन की कमी के बाद अब लोगों ने वृक्षारोपण की तैयारी  शुरू कर दी है. इसके लिए नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं. मानसून आने पर इन पौधों को लगाए जाने की तैयारी है. उन्होंने ने भी इस मानसून में पौधे लगाए जाने का संकल्प लिया गया. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस हो या प्रदूषण सबसे बचने के लिए पौधरोपण बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि गांव की पौधशाला में उन्होंने पीपल, नीम व बेल के पौधे तैयार किए हुए हैं, लोग यहां से यह पौधे निःशुल्क हासिल कर सकते हैं.