मोदी कैबिनेट विस्तार में 43 मंत्री शामिल, क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 07-07-2021
मोदी कैबिनेट विस्तार
मोदी कैबिनेट विस्तार

 

नई दिल्ली. मोदी कैबिनेट के विस्तार में राजनीतिक समीकरण के लिहाज से क्षेत्रीय संतुलन साधने की पूरी कोशिश की गई है. कुल 43 मंत्री ने आज शपथ ग्रहण की. बड़े पैमाने पर फेरबदल से पहले, कई दिग्गज मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था, जबकि 43 नए चेहरे सरकार में शामिल हुए थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया है. 12 मंत्रियों को हटाया गया है, जबकि सात कनिष्ठ मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री एंट्री मिली है.

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.

गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी और कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला को भी पदोन्नति मिली है.

नागरिक उड्डयन और आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे हरदीप सिंह पुरी को भी पदोन्नत किया गया है. ऐसा ही किरेन रिजिजू को भी किया है, जिनके पास युवा मामले और खेल का स्वतंत्र प्रभार था.

बिजली मंत्री आर.के. स्वतंत्र प्रभार संभालने वाले सिंह और स्वतंत्र प्रभार वाले जहाजरानी और बंदरगाह मंत्री मनसुख मंडाविया को भी पदोन्नत किया गया है. गुजरात को अब रूपाला और मंडाविया के रूप में दो अतिरिक्त कैबिनेट मंत्री मिलेंगे.

कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सहित मोदी सरकार से 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है.

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड की दूसरी लहर के प्रबंधन में अंतराल के कारण पद छोड़ दिया है, जो भयावह था.

आगामी स्थिति के लिए वर्धन की व्यापक रूप से आलोचना की गई क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविड की स्थिति और वैक्सीन प्रशासन के प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में देखा जाता है.

वरिष्ठ मंत्रियों में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा और श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने भी इस्तीफा दे दिया.

इस बीच, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.

उप्र को प्रतिनिधित्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्री मंडल में मिशन 2022 की झलक साफ देखने को मिल रही है. यूपी से केंद्रीय मंत्रिमंडल में जिन सात सांसदों को शामिल किया गया है, उनमें मीरजापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल (कुर्मी), लखनऊ की मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र से सांसद कौशल किशोर (पासी), महराजगंज संसदीय सीट से पंकज चौधरी (कुर्मी), जालौन सीट से सांसद भानु प्रताप वर्मा (कुर्मी) और बीएल वर्मा (कुर्मी) जो कि राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से सदस्य हैं. एसपी सिंह बघेल आगरा से सांसद हैं जो कि दतिल वर्ग से आते हैं. अजय मिश्र (ब्राह्मण) लखीमपुर खीरी से सांसद हैं.

इन 7 में से सिर्फ एक सामान्य वर्ग से हैं. तीन-तीन मंत्री पिछड़ा वर्ग और दो दलित समुदाय से हैं. जाहिर है यूपी से बनाये गये मंत्रियों को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के नजरिये से चुना गया है. भाजपा जानती है कि पिछड़ों और दलितों को आगे करके ही चुनाव में फतह हासिल की जा सकती है. इसका उदाहरण 2017 और 2019 के चुनाव में देखने को मिला है.

2019 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी थी. तो उस दौरान साध्वी निरंजन ज्योति और संतोष गंगवार को मंत्री मण्डल में शामिल किया गया था. दोनों पिछड़े समाज से आते हैं. अब गंगवार को हटा कर 4 पिछड़े समाज के लोगों को जगह मिली है. मंत्री मण्डल में पिछड़े का दबदबा दिखाकर साफतौर से इस वर्ग को साधने की कोशिश की गयी है. यूपी से अब कुल 4 मंत्री मोदी कैबिनेट में हो जायेंगे, जो पिछड़ी जाति से हैं.

जतीय गणित के हिसाब से यूपी में करीब 40 प्रतिशत पिछड़ा वोट बैंक है. इसके अलावा तकरीबन 25 प्रतिशत दलित हैं. इन दोनों वगरें का हिस्सा सपा और बसपा के पास रहता है. इसी पर सेंधमारी के लिए भाजपा ने यह बिसात विछाई है. भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि ब्राम्हण वोट उनके पाले में ही रहने वाला है. पिछड़ों और दलितों का कुछ हिस्सा और मिल जाए, तो भाजपा को सत्ता पाने में और आसानी रहेगी.

मप्र की बढ़ी हिस्सेदारी

फेरबदल ने मध्यप्रदेश की हैसियत बढ़ा दी है, क्योंकि राज्य के दो सांसदों को शपथ दिलाई गई है. मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में हुए विस्तार से पहले राज्य से कुल चार मंत्री थे, इनमें से एक थावर चंद गहलोत को राज्यपाल बना दिया गया, जिससे राज्य के खाते में सिर्फ तीन ही मंत्री रह गए थे.

मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक को शामिल कर राज्य की हिस्सेदारी और बढ़ा दी गई है. इस तरह मोदी मंत्रिमंडल में राज्य से मंत्रियों की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो गई है. सिंधिया और वीरेंद्र कुमार से पहले नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद पटेल मंत्रिमंडल का हिस्सा थे .

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोदी मंत्रिमंडल में राज्य से स्थान पाए ज्योतिरादित्य सिंधिया व वीरेंद्र कुमार के साथ अन्य मंत्रियों को बधाई देते हुए कहा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार से देश एवं विभिन्न प्रदेशों की प्रगति की राह अधिक सुगम और तीव्र होगी.

राज्य से मोदी मंत्रिमंडल में दो सदस्यों को जगह दिए जाने पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने नवनियुक्त मंत्रियों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल के गठन में मध्यप्रदेश का खासा ध्यान रखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और अनुसूचित वर्ग के वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र खटीक को मंत्रिमंडल में स्थान देकर जो विश्वास व्यक्त किया है उसके लिए भाजपा की प्रदेश इकाई और प्रदेशवासी उनके आभारी हैं.

शर्मा ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सिंधिया और खटीक कर्मठ और जुझारू राजनेता के साथ कुशल प्रशासक हैं. केन्द्रीय मंत्री के रूप में दोनों नेताओं का सहयोग मध्यप्रदेश को हमेशा मिलता रहेगा.

पूर्वोत्तर से पांच मंत्री

सबार्नंद सोनोवाल, राजकुमार रंजन सिंह और प्रतिमा भौमिक के शामिल होने के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के केंद्रीय मंत्रियों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है. किरेन रिजिजू, जिन्हें कैबिनेट रैंक में पदोन्नत किया गया है और रामेश्वर तेली नरेंद्र मोदी मंत्रालय में इस क्षेत्र के मौजूदा मंत्री हैं.

असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल के लिए केंद्रीय मंत्री के रूप में यह उनकी दूसरी पारी है. शिक्षक से नेता बने राजकुमार रंजन सिंह, जो कि इनर मणिपुर से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं और प्रतिमा भौमिक, जो त्रिपुरा पश्चिम से लोकसभा के लिए चुनी गईं हैं, उन्हें पहली बार मंत्री पद मिला है.

अरुणाचल पश्चिम से चुने गए 50 वर्षीय रिजिजू अपनी पदोन्नति तक केंद्रीय आयुष, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री थे. 49 वर्षीय रामेश्वर तेली, जो पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए थे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सिंह को अगले साल 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा के चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रालय में शामिल किया गया है. सिंह आदिवासियों और गैर-आदिवासियों दोनों के बीच एक लोकप्रिय नेता हैं.

69 वर्षीय शिक्षक से राजनेता बने सिंह 2019 में 17वीं लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. वह तब मणिपुर विश्वविद्यालय में कॉलेज विकास परिषद के निदेशक के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने 1982 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम से भूगोल विषय में पीएचडी की है.

वहीं भौमिक सत्तारूढ़ भाजपा की त्रिपुरा राज्य इकाई की उपाध्यक्ष हैं. त्रिपुरा विधानसभा के लिए कई चुनाव लड़ने में असफल रहने के बाद, वह अंततरू 2019 में पश्चिम त्रिपुरा निर्वाचन क्षेत्र से 17 वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं.

विज्ञान विषय से स्नातक, भौमिक ने 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे को कुचल दिया था, जो लगातार 25 वर्षों से राज्य पर शासन कर रहा था.

52 वर्षीय भाजपा नेता त्रिपुरा से पहली केंद्रीय मंत्री हैं और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र से अकेली महिला केंद्रीय मंत्री हैं.

भाजपा सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जे. पी. नड्डा सहित पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सोनोवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला किया था, जब भगवा पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के मार्च-अप्रैल विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापस आने के बाद हेमंत बिस्वा सरमा को असम का नया मुख्यमंत्री नामित किया गया था.

असम गण परिषद (एजीपी) में शामिल होने से पहले 59 वर्षीय असम के नेता ने 1992 से 1999 तक अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) के अध्यक्ष के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 2001 में मोरन सीट से एजीपी के टिकट पर असम विधानसभा के लिए चुने गए थे.

इसके बाद वे 2004 में डिब्रूगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए और 2014 में फिर से लखीमपुर से लोकसभा चुनाव जीते. तभी वह प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने थे.

सोनोवाल 2011 में भाजपा में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया. अगले वर्ष उन्हें पार्टी की असम इकाई का अध्यक्ष चुना गया.

2016 के असम विधानसभा चुनावों से पहले, सोनोवाल को राज्य में वापस भेज दिया गया था, जहां वह चुनावी लड़ाई का चेहरा थे, जिसे भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ जीत लिया और पूर्वोत्तर में इसके नेतृत्व में पहली सरकार बनी.

सोनोवाल ने आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र माजुली (एसटी) से जीत हासिल की, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप होने का गौरव प्राप्त है.

माजुली कांग्रेस का गढ़ था, जहां पार्टी के उम्मीदवारों ने 1962 से पांच बार सीट जीती थी, फिर भी सोनोवाल हाल के विधानसभा चुनावों में विधानसभा के लिए फिर से चुने गए. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री राजीव लोचन पेगू को हराया, जिन्होंने 2001 से लगातार तीन बार उक्त सीत से जीत हासिल की थी.

पेगू ने इस सप्ताह की शुरूआत में माजुली जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. मीडिया रिपोटरें से पता चला है कि आदिवासी नेता के भाजपा में शामिल होने की संभावना है.

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष मुरुगन ने ली शपथ

तमिलनाडु के राज्य भाजपा अध्यक्ष और मद्रास हाईकोर्ट के जाने-माने वकील एल. मुरुगन ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. 44 वर्षीय भाजपा नेता 15 वर्षों से मद्रास हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं और जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनी है, तब से वह केंद्र सरकार के स्थायी वकील हैं.

पोन राधाकृष्णन के बाद, यह दूसरी बार है, जब तमिलनाडु के किसी भाजपा नेता को मोदी सरकार में मंत्री के रूप में शामिल किया गया है.

मुरुगन मार्च 2020 से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने 2017 से 2020 तक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है.

छात्र जीवन में वह एबीवीपी के नेता रह चुके हैं.

2021 के विधानसभा चुनाव में मुरुगन धारापुरम निर्वाचन क्षेत्र में द्रमुक नेता एन. कायलविझी से 812 मतों के अंतर से हार गए.

सात बार के सांसद की दूसरी पारी 

सात बार के लोकसभा सांसद वीरेंद्र कुमार, जिन्होंने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया था, मोदी 2.0 कैबिनेट में वापस आ गए हैं. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद 67 वर्षीय कुमार की गिनती देश के वरिष्ठतम सांसदों में होती है. कुमार बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य रहे हैं, लेकिन उन्होंने 1982 में औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया. कुमार ने मध्य प्रदेश के सागर स्थित डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए, पीएच.डी. किया. उनका उनका विषय बाल श्रम था.

ये हैं 43 नए मंत्रीः

 

1. नारायण तातु राणे

 

2. सर्बानंद सोनोवाल

 

3. वीरेंद्र कुमार

4. ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया

 

5. रामचंद्र प्रसाद सिंह

 

6. अश्विनी वैष्णव

 

7. पशुपति कुमार पारस

 

8. किरेण रिजिजू

 

9. राज कुमार सिंह

 

10. हरदीप सिंह पुरी

 

11. मनसुख मंडाविया

 

12. भूपेंद्र यादव

 

13. पुरुषोत्तम रूपाला

 

14. जी. किशन रेड्डी

 

15. अनुराग सिंह ठाकुर

 

16. पंकज चौधरी

 

17. अनुप्रिया सिंह पटेल

 

18. सत्य पाल सिंह बघेल

 

19. राजीव चंद्रशेखर

 

20. सुश्री शोभा करंदलाजे

 

21. भानु प्रताप सिंह वर्मा

 

22. दर्शन विक्रम जरदोशी

 

23. मीनाक्षी लेखी

 

24. अन्नपूर्णा देवी

 

25. ए. नारायणस्वामी

 

26. कौशल किशोर

 

27. अजय भट्ट

 

28. बी. एल. वर्मा

 

29. अजय कुमार

 

30. चौहान देवसिंह

 

31. भगवंत खुबा

 

32. कपिल मोरेश्वर पाटिल

 

33. सुश्री प्रतिमा भौमिक

 

34. सुभाष सरकार

 

35. भागवत किशनराव कराडी

 

36. राजकुमार रंजन सिंह

 

37. भारती प्रवीण पवार

 

38. बिश्वेश्वर टुडु

 

39. शांतनु ठाकुर

 

40. मुंजापारा महेंद्रभाई

 

41. जॉन बारला

 

42. एल मुरुगन

 

43. निशीथ प्रमाणिक