नई दिल्ली. तीन कृषि कानून के विरोध में आंदोलनरत किसानों ने एक मार्च से दूध 100 रूपये लीटर करने का ऐलान किया है. हालांकि उन्होंने इसकी वजह पेट्रोल, डिजल की आसमान छूती किमत का विरोध करने को कारण बताया है, जबकि हकीकत कुछ और है.
दरअसर, कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान जनता की परेशानी बढ़ाकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं. दूसरी तरफ एक मार्च से दूध की कीमत सौ रूपये किए जाने के किसानों के फैसले से आम लोगों में खलबली है. उन्होंने रविवार से घरों में दूध का स्टाॅक करना शुरू कर दिया है. चूंकि दूध को अधिक दिनों तक नहीं रखा जा सकता, इस लिए लोग रोजाना के खर्च से दो-चार दिन ज्यादा का दूध इकट्ठा कर रहे हैं.
अभी बाजार में टांेड और क्रीम दूध की कीमत 45 से 60 रूपये लीटर के आस-पास है. किसान नेताओं का कहना है कि जो लोग पेट्रोल और डिजल 100 से 105 रूपये लीटर खरीद सकते हैं. उन्हें 100 रूपये लीटर दूध खरीदने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.हिसार के देवराज धर्मशाला में सतरोल खाप की बैठक में यह फैसला लिया गया है.
बागपत के बाबा का तपती धूप में तप
उन्हांेने गाजीपुर बार्डर पर अगले 11 दिनों तक इसी तरह सुबह से शाम तक बॉर्डर पर अन्न का सेवन न करने का ऐलान किया है. मगर वह फल का सेवन करते रहेंगे. बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डेरा डाले हुए हैं और सरकार द्वारा पारित किए गए कानूनों का विरोध कर रहे हंै.
ऐसे में बागपत के बाबा भी अब बॉर्डर पर बैठ कर अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं. उनके एक साथी मालू ने बताया, ‘‘कृषि कानून वापस कराने के लिए बाबा तप कर रहे हैं. अगले 11 दिन तक इसी तरह सुबह से शाम तक बैठेंगे और तप करेंगे. इस दौरान अन्न नहीं खाएंगे .‘‘‘बाबा के बगल में जल रही आग हर दिन तेज करेंगे इसके लिए हर दिन एक उपला रखा जाएगा.‘‘