मिलाद नबी पर मुंबई में खास: पैगंबर मोहम्मद पर नात सुनाएंगे हिंदू और श्रोता बनेंगे मुसलमान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 08-10-2022
मिलाद उन नबी पर मुंबई में होगा खास: पैगंबर मोहम्मद पर नात सुनाएंगे हिंदू और श्रोता बनेंगे मुसलमान
मिलाद उन नबी पर मुंबई में होगा खास: पैगंबर मोहम्मद पर नात सुनाएंगे हिंदू और श्रोता बनेंगे मुसलमान

 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली 

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में ईद मिलाद उन नबी पर कुछ खास होने वाला है. भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए यहां मिलाद उन नबी पर एक ऐसा प्रोग्राम होने जा रहा है जिसमें आठ हिंदू कवि पैगंबर मोहम्मद की शान में नात यानी कविता पाठ करेंगे और श्रोता होंगे मुसलमान.

इसके आयोजकों का कहना है कि पैगंबर मोहम्मद साहब की मानवता के बारे में उनके अनुयायियों के माध्यम से नहीं, बल्कि शहर के हिंदुओं द्वारा बताया जाएगा.
 
इसका उद्देश्य है पैगंबर साहब के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना. साथ ही ‘सभी के लिए पैगंबर’ अभियान को आगे बढ़ाना है. इस क्रम में आठ हिंदू जिमखाना क्लब में नात (पैगंबर मोहम्मद की स्तुति) का पाठ करेंगे.
 
अमीर खुसरो के समय से इस तरह की कविता पाठ की संस्कृति चली आ रही है. अमीर खुसरो ने खुद भी भगवान कृष्ण को लेकर कई कलाम पेश किए हैं. यहां तक कि रक्षाबंधन, होली और दिवाली पर भी मुस्लिम कवियों ने काफी कुछ लिखा है.
 
आयोजकों का कहना है कि  कोई भी ऐसा हिंदू त्योहार नहीं है जिसके बारे में मुस्लिम शायरों और साहित्यकारों ने न लिखा है.  इसी तरह, कई हिंदू हैं जिन्होंने पैगंबर साहब पर नात लिखे हैं. 
 
 मुशायरा के प्रभारी ”फरीद खान ने कहा,वर्तमान माहौल में इसे बढ़ाना और जरूरी हो गया है. गंगा-जमुनी तहजीब अभी भी जीवित है. मिलाद नबी के लिए पैगंबर मोहम्मद की प्रशंसा में खास तौर से नात लिखा गया है.
 
ऐसे कई ग्रंथ लिखने वाले डॉ. सागर त्रिपाठी ने कहा, मैं इस गंगा-जमुनी तहजीब को जीवित रखने के लिए इसमें भाग ले रहा हूं. हमारे गांव में एक ही मुस्लिम परिवार है, लेकिन जब उन्हें ताजिया बनाना होता, तो पूरा गांव इसका हिस्सा होता. त्रिपाठी खुद भी हुसैनी ब्राह्मण हैं.
 
उन्हांेने बताया, उर्दू तब सीखी जब वह प्रयागराज में पढ़ने गए. उस समय फिराक गोरखपुरी मेरे अभिभावक थे. मैं उर्दू सुनता रहा. इसमें मखमली एहसास (मखमली महसूस) और कोमलता (कोमलता) है. हमें शब्दों का प्रयोग अच्छा लगता है और भाषा की शोभा बढ़ती है. मुझे उसके बाद शायरी में दिलचस्पी होने लगी.
 
त्रिपाठी के अलावा, मुशायरे में तीन महिलाएं नात का पाठ करेंगी. पेशे से पटकथा लेखक अनुष्का निकम ने कहा,“मैं मराठी और हिंदी में एक नात पढ़ूंगी. मुझे पैगंबर साहब के विचार, उनके प्रति प्रेम और मानवता के बारे में लोगों को बताना है.
 
डॉक्टर लक्ष्मण शर्मा, जो मुशायरा हलकों में वाहिद के उपनाम से जाने जाते हैं, ने कहा कि इंसानियत (विनम्रता), खुलुस (सादगी), ईमानदारी जिसके साथ पैगंबर रहते थे, के बारे में बताने के लिए कार्यक्रम यह महत्वपूर्ण है.
 
उन्होंने कहा,“ इसका हिस्सा बनने का एकमात्र कारण यह है कि कौमी यक जेहती (गंगा-जमुनी तहजीब) को जीवित रखा जाना है. जो नफरत बोई जा रही है, उससे किसी का कल्याण संभव नहीं है. यह केवल दरारों को बढ़ाएगा.
 
डॉ शर्मा ने कहा, हमें इसके बजाय भाईचारे का संदेश देना चाहिए. अपनी नातों के माध्यम से, मैं पैगंबर की दया और मानवता के बारे में बताऊंगा, जिसे उन्होंने अपने जीवन में फैलाया. 
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क्या है ‘‘सभी के लिए पैगंबर’ ?

पैगंबर मोहम्मद साहब की 9 अक्टूबर को जयंती है, जिसे ईद मिलाद उन नबी भी कहा जाता है. इसके मददेनजर ‘सभी के लिए पैगंबर’ नामक अभियान शुरू किया गया है.
 
इस अभियान के पीछे मंुबई के कई प्रमुख इस्लामी संगठन, मुस्लिम समुदाय के सदस्य एवं अन्य धर्मों के लोग हैं. अभियान का उद्दय इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में गलतफहमी और गलत धारणाओं को दूर करना है.
 
हाल में कुछ लोगों के पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद देश-विदेश में भारत की स्थिति बहुत खराब हो गई थी. 
 
अभियान को सफल बनाने के लिए 200 से अधिक गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों को इससे जोड़ा गया है. ये लोग दूसरे घरों में जाकर और उन्हें अपने घरों में आमंत्रित कर पैगंबर का जन्मदिन मनाएंगे.
 
पैगंबर मुहम्मद का संदेश था भूखे को खाना खिलाना, बीमारों को देखना, बंदी बनाए गए लोगों को मुक्त करना और ऐसी कई शिक्षाएं. लोगों के बीच जाकर इसकी जानकारी दी जाएगी.
 
अभियान के एक स्वयंसेवक ने कहा कि हम लोगों को बताना चाहते हैं कि सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, प्यार फैलाते हैं और एक साथ शांति से रहते हैं.
 
अंजुमन-ए-इस्लाम, इस्लाम जिमखाना, मरकजुल मारीफ, माहिम दरगाह ट्रस्ट और उर्दू हेडमास्टर्स एसोसिएशन जैसे प्रमुख संगठन अभियान का हिस्सा होंगे और मुंबई और पड़ोसी ठाणे जिले के मीरा रोड और मुंब्रा क्षेत्रों के गैर सरकारी संगठन भी भाग लेंगे.
 
शहर और उपनगरों के विभिन्न हिस्सों से समुदाय के सदस्यों ने अभियान के लिए अनाथालयों, स्कूलों, अस्पतालों और मंदिरों का चयन किया है.
 
अभियान के तहत 8 अक्टूबर को स्वयंसेवक बस स्टॉप और रेलवे स्टेशनों के बाहर तख्तियां और बैनर दिखाएंगे और पर्चे बांटेंगे. 9 अक्टूबर को जुलूस निकाला जाएगा.
 
इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी. कांग्रेस के पूर्व विधायक युसूफ अब्राहानी ने कहा कि हम न केवल मस्जिदों, बल्कि शहर में सिद्धि विनायक जैसे मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का भी दौरा करेंगे ताकि पैगंबर के बारे में गलतफहमी दूर हो सके. तमाम कार्यक्रम का समन्वय मुस्लिम विद्वान अमीर इद्रीसी और सईद खान कर रहे हैं.