मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
राजस्थान के जैसलमेर के एक बेरहम मौलवी की ‘कहानी’ सामने आई है. इससे संबंधित तस्वीर जिसने भी देखी, अपने गुस्से का इजहार किए बिना नहीं रहा. इस मौलवी का नाम है अब्दुल अजीज और जैसलमेर के ‘फैजान गरीब नवाज मदरसा, सत्या’ में पढ़ाते हैं.
दरअसल, मौलवी को ‘बेरहम’ की संज्ञा दिए जाने की वजह है एक वीडियो है. 2.19 मिनट के इस वीडिया में मौलवी अब्दुल अजीज चार से छह उम्र के तीन मासूम बच्चों को पढ़ाई के दौरान बुरी तरह से पीटते हुए नजर आता है.
इसमें दिखाया गया है कि तीन छोटे बच्चे मौलवी से दीनी किताब पढ़ रहे हैं. मगर उन्हें मौलवी की पढ़ाई हुई बात समझ में नहीं आती है. इस लिए मौलवी के पूछने पर बच्चे उसे बता नहीं पाते हैं.
इससे आग बबूला मौलवी पहले अपने सामने रखी बेंच हटाता है. फिर तीनों छोटे मासूम बच्चों पर मुक्कों एवं थप्पड़ों की बरसात कर देताा है. इस बीच एक बच्चा भागकर अन्य बच्चों के बीच जा बैठता है. मौलवी फिर भी नहीं मानता. उसे वहां से उठाकर फिर तीनों बच्चों के साथ बैठाता है और नए सिरे से उन पर अत्याचार ढहाने लगाता है. एक बच्चे की पीठ पर बार-बार मुक्का मारने से वह अधमरा सा हो जाता है.
मजे की बात यह है कि इस बीच मौलवी को अहसास है कि उसका कोई वीडियो बना रहा है. इसके बावजूद वह नहीं रुकता और मासूसों की धुनाई करता रहता है.
इस वीडियो को ‘द खालसा टुडे’ के संस्थापक सुखी चहल के ट्विटर पर साझा करने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है.
अन्य मीडिया में भी यह घटना सामने आई है. तब से मौलवी की खूब आलोचना हो रही है.
खबर लिखने तक इस वीडियो को 84 बार री-ट्वीट किया जा चुका था. सिंध, पाकिस्तान के विवेक चौधरी ने प्रतिक्रिया में कहा है कि ऐसे मौलवी को जेल में होना चाहिए.
इस घटना पर आलिमों ने नाराजगी जताई है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद यहिया ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम में सब्र और परिश्रम को महत्व दिया गया है. यदि बच्चों को मौलाना की पढ़ाई हुई बातें समझ में नहीं आ रही थीं, तो उन्हें प्यार से बताना चाहिए था. बेरहमी से पिटाई के कारण यदि उन बच्चों में मदरसा और पढ़ाई के प्रति भय पैदा हो जाएगा, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा.
हरियाणा के नूंह जिले के साकरस के मुफ्ती सलीम कासमी का कहना है कि ऐसी हरकतें सही नहीं. इसके बावजूद इस मसले पर दारुल उलूम देवबंद से राय लेना ज्यादा बेहतर होगा.
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के इस्लामिक मामले के विद्वान प्रो अख्तर वासे ने कहा कि बच्चों की पिटाई की कोई जरूरत नहीं. तंबीह के और भी तरीके हैं. बच्चों का अपना मानवाधिकार है. उन्हें चोट पहुंचाने का किसी को हक नहीं.