अमरोहा में कई उलेमाओं ने निकाह पढ़ाने से किया इनकार, जाने क्यों

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 17-03-2021
निकाह पढ़ाने से इनकार
निकाह पढ़ाने से इनकार

 

अमरोहा / फिरोज खान

मुस्लिम समाज की शादियों में जहां दहेज को लेकर काफी तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. वहीं अब डीजे और इस जैसी सभी रस्मों को रोकने के लिए उलेमाओं ने बड़ा कदम उठाया है. ऐसी की एक मिसाल उत्तर प्रदेश के अमरोहा शहर में सामने आई, जहां मशहूर आलिम-ए-दीन मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने एक शादी के दौरान डीजे बजने के कारण निकाह पढ़ाने से साफ इनकर कर दिया, हालांकि बाद में दूल्हा-दुल्हन पक्ष ने मुफ्ती अफफान समेत समेत कई अन्य उलेमा की काफी मिन्नत समाजत की, लेकिन लेकिन यह उलेमा निकाह पढ़ाने को तैयार नहीं हुए, बाद में एक मौलाना ने दोनों दोनों पक्षों को काफी समझाने और लानत-मलामत के बाद निकाह पढ़ाया.

बताया जाता है कि मुफ्ती अफ्फान को मस्जिद में निकाह पढ़ाना था, लेकिन मुफ्ती साहब को खबर मिली के जिन हजरात के यहां वो निकाह पढ़ाने जायेंगे, वहां रात में डीजे बजाए गए थे. इसलिए मुफ्ती साहब ने फोरन ही फोन पर उन साहब से मना कर दिया कि “मैं आपके यहां निकाह नहीं पढ़ाऊंगा.”

डीजे बजेगा, तो निकाह नहीं पढ़ाएंगे

जिन साहब का निकाह होना था, उनके घर वालो के लिये ये खबर बहुत परेशान करने वाली थी. आनन-फानन में घर के और मोहल्ले के कुछ जिममेदार लोग मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी के पास गये और उनसे माजरत चाही, लेकिन उन्होंने साफ लफ्जों में मना कर दिया कि जिस घर मंे डीजे बजेगा, कोई भी वहां निकाह पढ़ाने नहीं जायेगा.

मुफ्ती शाहिद ने भी मना कर दिया

बात यहां पर खतम नहीं हुई. घर वालों ने मुफ्ती शाहिद से कहा कि आप निकाह पढ़ा दें, लेकिन उन्होंने भी साफ लफ्जों में मना कर दिया. उनके मना करने के बाद घर वालों ने मुफ्ती इजहार से निकाह के लिये कहा. उन्होंने भी मना कर दिया.

निकाह से पहले दी नसीहतें

घर वालो की परेशानी बढ़ती जा रही थी, कोई निकाह पढ़ाने को राजी नहीं था. जैसे-तैसे एक मौलवी साहब बड़ी मुश्किल से हाथ-पैर जोड़ने के बाद निकाह पढ़ाने को राजी हुए.

लेकिन निकाह से पहले उन्होंने दोनों पक्षों को काफी नसीहत की और इस तरह की रस्मों और रिवाजों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया. साथ ही इस तरह की शादियों के होने वाले नुकसानात भी लोगों के सामने रखे.

रिश्तेदारों का डर है, मगर अल्लाह का नहीं

उन्होंने कहा कि अपनी शादी के प्रोगामों में अल्लाह को नाराज करने वाले काम करेंगे, तो मेरे भाईयो इसका अंजाम सही कैसे होगा. हमें रिश्तेदारों की नाराजगी की फिक्र है, लेकिन अल्लाह की नाराजगी का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा कि अल्लाह को नाराज करने वाले कभी कामयाब नहीं हो सकते हैं.

अमरोहा में पेश आया यह वाकया लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि पूरे क्षेत्र में उलेमाओं के इस कदम की जबरदस्त प्रशंसा हो रही है और शादियों में तेजी से बढ़ रही रस्मो-रिवाजों को रोकने की ओर यह अच्छा कदम बताया जा रहा है.