एकजुट होकर देश को मजबूत बनाएं: मोहन भागवत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 25-09-2022
एकजुट होकर देश को मजबूत बनाएं: मोहन भागवत
एकजुट होकर देश को मजबूत बनाएं: मोहन भागवत

 

आवाज द वॉयस / शिलांग

भारत की एकता इसकी ताकत है. देश की विविधता पर गर्व होना महत्वपूर्ण है. आक्रमणकारियों ने इसे अलग तरह से देखा. दुनिया सोचती है कि हम अलग हैं, इसलिए हम अलग हैं, जबकि भारत विविधता में एकता का देश है, जो अनादि काल से अस्तित्व में है.

हम हमेशा एक रहे हैं. जब हम इसे भूल जाते हैं, हम अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम एक बने रहें. अपने देश को मजबूत बनाएं.
 
ये भावनाएं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शिलांग में व्यक्त कीं. उन्होंने कहा कि एकता के लिए हम सभी को काम करना होगा. उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगवार के बारे में भी बताया कि कैसे उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित कर दिया.
 
समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. मोहन भागवत ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलराम हेडगवार के बारे में प्रेरक कहानियां सुनाईं. उन्हांेने बताया, यह दिलचस्प है कि वे ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष में लड़ते हुए जेल चले गए.
 
सुनवाई के दौरान अदालत में डॉ हेडगेवार की प्रतिक्रिया उस वास्तविक भाषण से कहीं अधिक खतरनाक थी जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा था.
 
मोहन भागवत ने कहा कि हम अनादि काल से एक प्राचीन राष्ट्र हैं, लेकिन हमने अपने सांस्कृतिक आदर्शों और मूल्यों को भूलकर अपनी स्वतंत्रता खो दी है.
 
उन्होंने कहा कि इस देश की सनातन सभ्यता के मूल्यों को हमारे देश के बाहर के लोग हिंदुत्व कहते हैं. हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदू की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है, हालांकि यह हमारी पहचान है. भारतीय और हिंदू दोनों शब्द पर्यायवाची हैं. यह वास्तव में एक भू-सांस्कृतिक पहचान है.
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मोहन भागवत ने कहा कि घंटे भर चलने वाली संघ शाखाओं में लोग मातृभूमि के प्रति इन परोपकारी मूल्यों और कर्तव्य के बारे में सीखते हैं. आरएसएस बलिदान की इस परंपरा को देश के प्राचीन इतिहास से लेता है.
 
हमारे पूर्वजों ने अलग-अलग देशों का दौरा किया था. इसके साथ जापान, कोरिया, इंडोनेशिया और कई अन्य देशों में समान मूल्य पहुंचा. हम आज भी उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं.
 
मोहन भागवत ने उदाहरणों का हवाला दिया कि कैसे भारत ने कोविड संकट के दौरान विभिन्न देशों में टीके भेजकर मानवता की सेवा की. हमारा देश श्रीलंका के सबसे खराब आर्थिक संकट के दौरान खड़ा हुआ.
 
मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे संघ 1925 से समर्पित स्वयंसेवकों की पांच पीढ़ियों की मदद से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि संघ सिर्फ एक संगठन नहीं है जो संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, बल्कि असली मिशन इस समाज को संगठित करना है. जिससे भारत अपना सर्वांगीण विकास कर सके.
 
शाखाओं में तीन बातों पर जोर दिया जाता है. राष्ट्रीय, स्वयं सेवक और सिंह भाव. डॉ. भागवत के भाषण का मुख्य विश्लेषण उनकी तुलना थी कि एक नागरिक का भाग्य भी देश की नियति निर्धारित करता है और इसके विपरीत.
 
कुछ साल पहले युगांडा में संकट के दौरान वहां के भारतीयों को भी अपनी कोई गलती नहीं झेलनी पड़ी. उस समय वैश्विक क्षेत्र में भारत का कद कमजोर था. तब भी हमारी आपत्तियों का कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि हमारा देश कमजोर था. 
 
यदि भारत राष्ट्र शक्तिशाली और समृद्ध बनता है, तो प्रत्येक भारतीय भी शक्तिशाली और समृद्ध बनता है.मोहन भागवत ने हॉल में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के दर्शकों से आरएसएस का विश्लेषण दूर से नहीं बल्कि प्रत्यक्ष अवलोकन से करने को कहा.
 
कार्यक्रम में शिक्षाविदों, नेताओं के साथ आध्यात्मिक और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया. दिलचस्प बात यह है कि डॉ. मोहन भागवतजी की यह यात्रा सरसंघ चालक के रूप में उनकी पहली यात्रा थी. भागवत की दो दिवसीय मेघालय यात्रा, जो आज समाप्त होगी, इसमें संघ के कई पदाधिकरी शामिल होंगे.