मध्य प्रदेशः बनारस की ज्ञान वापी मस्जिद की तरह उज्जैन में भी विवाद शुरू

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-05-2022
मध्य प्रदेशः बनारस की ज्ञान वापी मस्जिद की तरह उज्जैन में भी विवाद शुरू
मध्य प्रदेशः बनारस की ज्ञान वापी मस्जिद की तरह उज्जैन में भी विवाद शुरू

 

गुलाम कादिर /उज्जैन
 
बनारस की ज्ञान वापी मस्जिद विवाद की तरह मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी प्राचीन मस्जिद के अंदर गणेश और शिव की मूर्तियों के दावे होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. महामंडलीश्वर अतलीशानंद महाराज ने दावा किया है कि उज्जैन शिप्रा नदी के किनारे स्थित हजार साल पुरानी मस्जिद में न केवल भगवान शिव और गणेश की मूर्तियां मौजूद हैं, बल्कि बनारस ज्ञान वापी मस्जिद की शैली में इस मस्जिद के सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी  भी होनी चाहिए.

बीजेपी ने जहां महामंडलीशोर की मांग का समर्थन किया,वहीं कांग्रेस ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बीजेपी और महामंदीशोर के बयान को चुनावी एजेंडे का हिस्सा बताया है.महामंडलेश्वर का कहना है कि शिप्रा नदी के तट पर बनी मस्जिद राजा भोज के समय का प्राचीन मंदिर है.
 
यहां 2000 तक मूर्तियां थीं.हमें यकीन है कि अगर ज्ञान वापी मस्जिद की शैली में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाए तो सच्चाई सामने आएगी.उधर, भाजपा प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने कहा कि अगर  समाज के किसी जिम्मेदार प्रतिनिधि ने ऐसी बात कही है तो प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह उनके दावे पर गौर करे और उनके द्वारा पेश किए गए सबूतों को आधार बनाए, लेकिन जांच कर जवाब दें.
 
उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि महामंडलेश्वर मस्जिद को राजा भोज युग का मंदिर बता रहे हैं.वे कहते हैं कि एक हजार छब्बीस का रिकॉर्ड है, लेकिन वे यह नहीं कह रहे हैं कि वे 2022 तक चुप क्यों रहे.जब उन्होंने वहां मूर्ति को 2000 में देखा और अब जबकि 2022 में चुनाव होने वाले हैं, तो वे मूर्तियों की बात कर रहे हैं.
 
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा और महामंडलेश्वर आरएसएस के छिपे हुए एजेंडे पर काम कर रहे हैं. ताकि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष पैदा हो. जब हिंदू और मुसलमानों के बीच संघर्ष होता है तो भाजपा को फायदा होता है.
 
उन्होंने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी दल इसी नीति पर चल रहे हैं. उसी उज्जैन में जहां भाजपा नेताओं ने संस्था की जमीन पर कब्जा कर लिया है, वहीं कई मंदिरों पर कब्जा है. महामंडलेश्वर उन्हें खाली करने के लिए आवाज नहीं उठाते.
 
उज्जैन में हजारों मंदिर ऐसे हैं जहां साफ-सफाई का परध्यान नहीं है. इन मंदिरों की सफाई और सुरक्षा को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई जाती, लेकिन विवाद खड़ा करके उन्होंने सुर्खियों में रहने और समाज में अराजकता पैदा करने की कोशिश की है.
 
दूसरी ओर प्रख्यात इतिहासकार प्रो. मुहम्मद शकील का कहना है कि राजनेताओं को पता होना चाहिए कि राजनेता और महामंडलेश्वर क्या कहते हैं. बात सिर्फ इतनी है कि इस मस्जिद का निर्माण एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है और इसके दस्तावेज वक्फ बोर्ड के पास उपलब्ध हैं.
 
इस मस्जिद को बिना नींव वाली मस्जिद कहा जाता है, क्योंकि इसे जिन्नातों ने बनवाया है. न कल मस्जिद के अंदर कोई मूर्ति थी और न ही आज कोई मूर्ति है.अगर महामंडलीशोर ने 2007 में मस्जिद के अंदर मूर्ति देखी थी, तो फिर वे चुप क्यों थे ?
 
भाजपा की सरकार तब भी थी और आज भी है. सरकार और प्रशासन को कोई भी निर्णय लेने से पहले प्राचीन दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए.