जानिए, पंजाब में क्यों आई सुनामी, जिसने कांग्रेस और अकाली दल को हाशिए पर डाला

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-03-2022
जानिए, पंजाब में क्यों आई सुनामी, जिसने कांग्रेस और अकाली दल को हाशिए पर डाला
जानिए, पंजाब में क्यों आई सुनामी, जिसने कांग्रेस और अकाली दल को हाशिए पर डाला

 

चंडीगढ़: पंजाब में विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझानों से तस्वीर लगभग साफ है कि आम आदमी पार्टी राज्य में सरकार बनाने जा रही है. बदलाव की इस सुनामी में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल का इतना नुकसान हुआ है कि अगले पांच साल में उनके लिए अपने कैडर को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा. जब कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे, तो पंजाब में बदलाव की लहर इतनी तेज नहीं थी, लेकिन उनके सत्ता से हटने के बाद यह लहर बवंडर में तब्दील होती दिख रही थी, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह साधु ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे.


उन्होंने पंजाब की हालत को लेकर हर बात के लिए कैप्टन अमरिंदर को जिम्मेदार ठहराया. कैप्टन को सत्ता से हटाने के बाद उन्होंने खुद मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की. नहीं तो, उन्होंने मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की कोशिश की और बड़ा मोर्चा खुल गया.

 

इसके अलावा, परिवर्तन की इस सुनामी का सबसे बड़ा कारक किसान आंदोलन था. हालांकि, इसने पहले से ही हाशिए पर पड़ी भाजपा को ज्यादा नुकसान नहीं किया] क्योंकि उसने 1996में शिअद के साथ 23सीटों पर चुनाव लड़ा था. अलग होने के बाद भी वह वहीं खड़ी है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि उनका वोट शेयर कहां है. किसान आंदोलन के दौरान कांग्रेस और अकाली दल में किसानों और लोगों की भूमिका को संदेह की नजर से देखा गया, जिसका सीधा फायदा आप को हुआ.

 

इसके अलावा, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति न होना, इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि कांग्रेस के पात्रों और चेहरों के बीच केवल सीटों की लड़ाई थी. लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं था. पंजाब की राजनीति में बदलाव की आंधी लाने वाले कई कारण थे.

 

हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने सीएम चन्नी पर दलित कार्ड खेला, लेकिन उनके भतीजे को उनके साथियों के साथ रेत खनन मामले में 10करोड़ रुपये नकद के साथ पकड़ा गया, जिससे उनकी छवि बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई और आम आदमी पार्टी ने इसमें सुधार किया.

 

जहां कुमार विश्वास के आतंकवाद के आरोपों से आम आदमी पार्टी के कमजोर होने की आशंका थी, लेकिन आखिरी वक्त में आप और भी मजबूत हो गई.

 

 

साथ ही कैप्टन को हटाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू का रवैया और बकवास भी कांग्रेस को भारी पड़ा. हालांकि यहां बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन अगर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल अपने कैडर को मैनेज नहीं कर पाए, तो बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश करेगी.