जाने, भू-माफिया के ऐतिहासिक कुतुब शाही मस्जिद गिराने के बाद क्या हुआ ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-02-2022
जाने, भू-माफिया के ऐतिहासिक कुतुब शाही मस्जिद गिराने के बाद क्या हुआ ?
जाने, भू-माफिया के ऐतिहासिक कुतुब शाही मस्जिद गिराने के बाद क्या हुआ ?

 

शेख मोहम्मद यूनुस/ हैदराबाद
 
पड़ोसी प्रदेश कर्नाटक में जब सांप्रदायिकता की तलवारें खिंची हैं, तेलंगाना ने गंगा-जमुनी तहजीब का एक और सबूत पेश किया है. जाहिर, वहां की ऐसी कहानियां आज के माहौल में शेष हिंदुस्तान के लिए अनुकरणीय हैं.

दरअसल, शाह मीरपेट में 400 साल पुरानी कुतुब शाही मस्जिद को भू-माफियाओं ने ढहा दिया. मगर इसके खिलाफ न केवल मुसलमान, हिंदू भी आगे आए. उनके प्रयासों से पुलिस का दरवाजा खटखटाया गया और प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इस बारे में राज्य के गृह मंत्री से मुलाकात कर शिकायत भी दर्ज कराई गई है.
मगर ठहरिए ! कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. अब इलाके के गैर-मुस्लिम नेताओं, पंडितों और पुजारियों ने मस्जिद के पुनर्निर्माण में हर संभव मदद और समर्थन का संकल्प लिया है. परिणाम स्वरूप नए सिरे से प्राचीन मस्जिद के निर्माण की कसरत शुरू हो गई है.
 
दरअसल, कुछ दिनों पहले तेलंगाना के याकूबपुर गांव में 400 साल पुरानी कुतुब शाही मस्जिद को ढहा दिया गया था. इसके पीछे भू-माफिया का हाथ बताया गया.इस घटना ने इलाके में तनाव पैदा कर दिया.
 
मुट्ठी भर लोग हमेशा राष्ट्रीय एकता, गंगा-जमुनी तहजीब और सांप्रदायिक सद्भाव को चुनौती देते रहते हैं. यहां भी ऐसी ही नापाक कोशिश की गई, जिसे विफल कर दिया गया.
 
क्या है मामला  ?

2011 में इलाके मीर गुलाम हसन खान और उनके बेटे मोहम्मद शाहनवाज ने मस्जिद और कुछ कब्रों के साथ 9 एकड़ जमीन सत्य नारायण रेड्डी को बेच दी थी. बाद में उक्त जमीन विनोद रेड्डी को बेच दी गई.
 
सत्य नारायण रेड्डी को जमीन बेचने के बाद, मस्जिद की जमीन को मीर गुलाम हसन खान के पास बंदोबस्ती के तहत पंजीकृत कर दिया गया. तब से खान और उसके परिवार के सदस्य मस्जिद गिराए जाने तक गांव वालों के साथ रोजाना पांचों वक्त नमाज अदा करते रहे.
 
विवाद तब शुरू हुआ जब विनोद रेड्डी ने तीन दिन पहले मस्जिद ध्वस्त कर अपने इरादे की घोषणा की. वहां उसकी बिल्डिंग खड़ी करने की योजना है. जब कि इस दौरान हिंदू और मुसलमानों ने ऐसा न करने की अपील की.
 
मगर अपील को नजरअंदाज कर ऐतिहासिक कुतुब शाही मस्जिद गिरा दी गई. इससे इलाके में तनाव पैदा हो गया. इससे पहले की कानून-व्यवस्था का मसला खड़ा होता, स्थानीय गैर-मुस्लिम नेताओं और धार्मिक हस्तियों ने शाह मीरपेट में मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए पूर्ण सहयोग और समर्थन व्यक्त किया. 
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इसके बाद स्थानीय सरपंच रविंदर रेड्डी, गैर-मुस्लिम नेताओं, पंडितों और पुजारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तेलंगाना के गृह मंत्री मोहम्मद महमूद अली से मुलाकात की और प्राचीन और ऐतिहासिक मस्जिद के गिराए जाने पर खेद व्यक्त किया.
 
इसपर गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही है. तेलंगाना सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है.
 
सरपंच रविंदर रेड्डी ने कहा कि स्थानीय हिंदू-मुस्लिम लोग मस्जिद निर्माण के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि इलाके के लोग ऐतिहासिक मस्जिद के निर्माण में पूरा सहयोग देंगे.
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वक्फ की वित्तीय सहायता

गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के विचारों से प्रसन्न हुए. कहा कि मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड द्वारा 500,000 रुपये जारी किए जाएंगे. इसके बाद से निर्माण कार्य शुरू हो गया है.
 
इस दौरान मोहम्मद महमूद अली ने 500,000 रुपये और देने का वादा किया. इसपर सरपंच रविंदर रेड्डी, कृष्णा रेड्डी, यादगिरी और अन्य धार्मिक हस्तियों ने गृह मंत्री का धन्यवाद अदा किया.
 
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि कुछ लोगों की गंदी सियासत और सोच के कारण भले ही कुछ समय के लिए माहौल खराब हो जाए, पर ‘‘सर्वश्रेष्ठ भारत हमारा ही है. भारत पूरी दुनिया में एकता-अखंडता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है.