आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
प्रतिबंधित जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख, यासीन मलिक, जो आतंकवाद के वित्तपोषण सहित मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, ने तिहाड़ की जेल के अंदर भूख हड़ताल शुरू कर दी है. जेल अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी है.
तिहाड़ जेल की जेल नंबर 7 में बंद मलिक ने आरोप लगाया कि 22 जुलाई से भूख हड़ताल शुरू करने के बाद से उनके मामले की जांच ठीक से नहीं हो रही है.
मलिक, जिसे 2019 में जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद गिरफ्तार किया गया था, को इस साल 19 मई को टेरर फंडिंग मामलों में एनआईए अदालत ने दोषी ठहराया था. 25 मई को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. एनआईए अदालत ने मलिक को उम्रकैद की सजा के अलावा 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
इस साल 15 जुलाई को, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बहन और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद ने मलिक की पहचान 8 दिसंबर, 1989 को जेकेएलएफ आतंकवादियों द्वारा उसके अपहरण के संबंध में की थी.
रुबैया का 8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर में अपहरण कर लिया गया था और पांच दिनों के बाद 13 दिसंबर को कैद से मुक्त कर दिया गया था, जब केंद्र में तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया था.
मलिक अन्य लोगों के साथ इस मामले में आरोपी है.56 वर्षीय अलगाववादी नेता ने 23 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान जम्मू की एक अदालत में पेश होने का अनुरोध किया है.
रुबैया सईद अपहरण मामले के अलावा, मलिक जनवरी 1990 में श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या के मामले में भी आरोपों का सामना कर रहा है.
मलिक ने इस मामले में भी व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए केंद्र सरकार के पास एक आवेदन दिया है.