कश्मीरः मुहर्रम के मद्देनजर तैयारियां, एहतियाती उपाय और सुविधाएं

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 11-08-2021
मुहर्रम की तैयारियां
मुहर्रम की तैयारियां

 

आवाज-द वॉयस / श्रीनगर

कश्मीर में कोरोना के चलते मुहर्रम के शोक जुलूस में कोरोना के प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाएगा. मुहर्रम को देखते हुए प्रशासन ने अब सारे कदम पूरे कर लिए हैं. जिला प्रशासन ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि स्मारक समारोहों और मुहर्रम के जुलूसों के दौरान सभी सुविधाएं उपलब्ध हों.

मुहर्रम के पहले 10दिनों के दौरान श्रीनगर के लोगों, खासकर शिया समुदाय को पानी और बिजली और अन्य सुविधाओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए अतिरिक्त उपाय किए गए हैं.

श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) ने विभिन्न इमामबाड़ों में सफाई के उद्देश्य से विशेष टीमों का गठन किया है.

स्ट्रीट लाइट लगाने का काम युद्धस्तर पर पूरा कर लिया गया है. सभी इमामबाड़ों को साफ कर दिया गया है और हमारी टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.

श्रीनगर में गलियों, सड़कों और राजमार्गों पर काले झंडे फहराए जा रहे हैं, जिन पर इमाम हुसैन (अ) और कर्बला के अन्य शहीदों के बारे में तरह-तरह की बातें लिखी गई हैं. ताकि मुहर्रम के पवित्र दिनों में मातम बेहतर तरीके से हो सके.

पारंपरिक शोक समारोह विभिन्न स्थानों और बस्तियों में आयोजित किए जाते हैं. प्रतिज्ञाओं की एक श्रृंखला शुरू होती है, जिसके दौरान लोगों को आमंत्रित किया जाता है और सभा के अंत में उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जो शिया बस्तियों में उपलब्ध होते हैं. इसे नजर-ए-हुसैन कहा जाता है.

पहली से 14वीं मुहर्रम तक शहरों और गांवों में इल्म-ए-शरीफ और शोक के जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और इमाम हुसैन (अ.) की याद में इन सभाओं और जुलूसों में भाग लेना बेहद फायदेमंद और अच्छा काम बताया गया है.

आवाज-द वॉयर्स  से बात करते हुए मुहर्रम की तैयारी कर रहे कुछ युवाओं ने कहा कि बैनर और काले झंडे फहराने का मकसद इमाम हुसैन (अ) और कर्बला के अन्य शहीदों का संदेश देना है. मानवता का संदेश वे इस तरह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

श्रीनगर के अलावा मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में दो बड़े इमाम बाड़ा हैं, जिनमें से एक बडगाम में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इमाम बाड़ा और दूसरा बडगाम से सटे बामना क्षेत्र में स्थित है.

मुहर्रम के दौरान, उन्हें बाड़ा के अंदर और बाहर काले कपड़े में ढक दिया जाता है, जो दुख के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है.

इसके अलावा उत्तरी कश्मीर के विभिन्न जिलों में इन दिनों शिया बहुल इलाकों में मुहर्रम की तैयारियां की जा रही हैं और इस संबंध में शोक घरों को सजाया जा रहा है.

मुहर्रम को लेकर भी प्रशासन की ओर से इंतजाम किए जा रहे हैं. संबंधित उपायुक्तों ने इस संबंध में प्रत्येक जिले और उप जिला स्थानों पर मुहर्रम की बैठकें की, जिनमें जिले के विभिन्न उच्चाधिकारियों, पुलिस, उलमा और विभिन्न गांवों के सम्मानित नागरिकों से चर्चा की गई और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया.

जुलूस व शोक जुलूस के लिए आवश्यक सामग्री व अन्य व्यवस्थाएं रखने का प्रयास किया जा रहा है. शोक जुलूस के दौरान श्रद्धालुओं को निर्बाध बिजली और पानी की आपूर्ति के अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं.