हुबली. श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को कर्नाटक के हुबली ईदगाह मैदान में कनकदास जयंती मनाई. यह कार्यक्रम श्री राम सेना द्वारा यहां कनकदास जयंती मनाने की अनुमति मांगने के लिए एक ज्ञापन सौंपने के बाद हुआ है. इससे एक दिन पहले असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने अन्य लोगों के साथ गुरुवार को मैदान में टीपू सुल्तान की जयंती मनाई थी.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एआईएमआईएम और समता सैनिक दल के सदस्यों सहित लगभग 200 लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. 9 नवंबर को हुबली-धारवाड़ नगर निगम से सशर्त अनुमति मिलने के बाद समारोह आयोजित किया गया. कुछ दलित संगठनों और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने कर्नाटक के हुबली में ईदगाह मैदान में टीपू जयंती मनाने की अनुमति मांगी, तो शिवसेना ने ज्ञापन सौंपका कनकदास जयंती के लिए आवेदन दिया थी. इसी साल अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने हुबली ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दी थी.
दो और संगठनों ने ज्ञापन देकर उसी स्थान पर कामदेव की प्रतिमा स्थापित करके होली मनाने और ओनेक ओबव्वा जयंती मनाने की अनुमति मांगी है. गौरतलब है कि मेयर वीरेश अंचटगेरी ने बुधवार को एएनआई को बताया था कि ईदगाह मैदान में धार्मिक गतिविधियां की जा सकती हैं, लेकिन किसी बड़े नेता को अनुमति नहीं दी जाएगी.
इस साल अगस्त में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गणेश चतुर्थी समारोह को हुबली के ईदगाह मैदान में आगे बढ़ने की अनुमति दी थी. अंजुमन-ए-इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश में कहा गया है कि जमीन हुबली-धारवाड़ नगर आयोग की संपत्ति है और वे जिसे चाहें जमीन आवंटित कर सकते हैं. बाद में, कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मामला उच्चतम न्यायालय में चला गया. हालांकि ईदगाह मैदान को गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दे दी गई थी. यह पहली बार था जब विवादित मैदान में हिंदू त्योहार मनाया गया था.
हुबली में ईदगाह मैदान 2010 तक दशकों तक एक विवादास्पद विवाद में फंसा रहा, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मैदान हुबली-धारवाड़ नगर निगम की विशेष संपत्ति है. 1921 में, इस्लामिक संगठन अंजुमन-ए-इस्लाम को 999 साल के लिए प्रार्थना करने के लिए जमीन लीज पर दी गई थी, जो अब खत्म हो गई है.