कलाम ने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए बनाई थी सर्वधर्म कमेटी, दोबारा जिंदा करने की जरूरतः एस.एम. खान

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 14-10-2022
एसएम खान के साथ मंजीत ठाकुर और मलिक असगर हाशमी
एसएम खान के साथ मंजीत ठाकुर और मलिक असगर हाशमी

 

मलिक असगर हाशमी और मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम देश के हर तरह से मजबूत बनाना चाहते थे और इसके लिए देश में हर धर्म के लोगों के बीच सद्भाव की जरूरत पर वह काफी जोर देते थे. कलाम साहब के प्रेस सचिव रहे भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एस.एम. खान ने कलाम साहब को याद करते हुए कहा है कि मौजूदा दौर में कलाम साहब की उन तमाम बातों पुनर्विचार की आवश्यकता है जिससे देश और समाज मजबूत हो सके.

खान ने कहा कि देश केसांप्रदायिक सौहार्द को मजबूती देने के लिए वह पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की सर्वधर्म समभाव कमिटी को फिर जिंदा करने का प्रयास करेंगे.

गौरतलब है किदेश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूती देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने सभी धर्मों के प्रमुख गुरुओं एवं बुद्धिजीवियों की एक कमिटी गठित करने का प्रयास किया था. इसमें कई हिंदू धर्म गुरुओं के साथ मुस्लिम आलिम, सज्जादानशीं एवं जैन मुनि भी शामिल किए गए थे. कलाम साहब की पुस्तकों से पता चलता है कि इसको लेकर कुछ बैठकें भी हुई थीं, पर बात आगे नहीं बढ़ पाई.


लाम के राष्ट्रपति बनने के बाद पूरे पांच वर्षों तक उनके प्रेस सचिव रहे एस.एम. खान ने माना कि कलाम साहब ने इस तरह की कमेटी गठित करने के लिए काफी प्रयास किया था, पर उनके गुजर जाने के बाद यह कमेटी अब किस स्थिति में है. इसकी कोई गतिविधि चल भी रही है अथवा नहीं, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.

एस.एम. खान ने आवाज द वॉयस से खास बातचीत में कहा कि वह इस कमिटी की स्थिति का पता लगाएंगे और यदि यह कमिटी निष्क्रिय है, तो उसे पुनर्जीवित करने का प्रयास करेंगे.

एसएम खान ने विशेष बातचीत में कहा कि कलाम साहब इस्लाम के बताए मार्गों पर चलते थे, पर इसके दिखावे पर यकीन नहीं रखते थे. उन्होंने कलाम साहब के ऐसे कई किस्से बताए. खान ने कहा कि बेशक वह मुस्लिम थे लेकिन उन्हें हिंदू धर्म की गहरी जानकारी थी और स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामीजी के साथ अपने आध्यात्मिक सफर को लेकर कलाम साहब ने आरोहण (मूल अंग्रेजी किताब ट्रांसेन्डेंस) नाम की किताब लिखी थी.

खान अपने इंटरव्यू में कहते हैं, “उनकी जिंदगी का मकसद ही था कि कैसे सभी धर्मों के बीच के तालमेल को ठीक किया जाए. और कैसे हिंदुस्तान की तरक्की के लिए सारे धर्म मिलकर काम करें. और इसलिए वह हमेशा इंटरफेथ डायलॉग की बात करते थे.”

आज देश में मदरसों को लेकर जो अविश्वास का माहौल है उसको लेकर भी खान ने कलाम साहब के विचार व्यक्त किए. खान ने कहा कि कलाम साहब ने खुद बचपन में मदरसे में पढ़ाई की थी और वह मदरसा सिस्टम से पूरी तरह परिचित थे.


मदरसों को लेकर उनके विचार के बारे में एमएम खान ने खुलासा किया कि उनका मानना था कि जमाना बदल गया है और मदरसे में पढ़ने वालों को भी आधुनिक शिक्षा जरूरी है, क्योंकि अगर सिर्फ धार्मिक शिक्षा लेंगे तो मदरसे से निकले हुए छात्र जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाएंगे. इसलिए वह मानते थे कि मदरसों में आधुनिक पाठ्यक्रम को भी शामिल किया जाए ताकि दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा लेकर छात्र बाहर निकलें तो व्यावसायिक कोर्स भी कर सकें.

मदरसे को लेकर अपने विचार रखते हुए एसएम खान ने कहा, मैंने खुद कई मदरसों का सर्वेक्षण किया है. मगर इसमें देशविरोधी गतिविधियों को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार में कोई दम नहीं है. उन्होंने कहा, “मैं दूसरे देशों की बात नहीं कर सकता. लेकिन कम से कम हिंदुस्तान में किसी मदरसे में देशविरोधी गतिविधियों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता, या सिखाया जाता है. हां, यह हो सकता है कि कुछ मदरसे आधुनिक शिक्षा न देते हों और सिर्फ दीनी तालीम देते हों, पर वह देशविरोधी नहीं हैं.”

हालांकि, एसएम खान ने भी मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पर बल दिया.