जश्ने-रेख्ताः उर्दू इसी मिट्टी की है, जिसे कुछ लोग यहाँ से ले गए - अमरीश मिश्रा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
जश्ने-रेख्ताः उर्दू इसी मिट्टी की है, जिसे कुछ लोग यहाँ से ले गए - अमरीश मिश्रा
जश्ने-रेख्ताः उर्दू इसी मिट्टी की है, जिसे कुछ लोग यहाँ से ले गए - अमरीश मिश्रा

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

‘‘उर्दू हमारी भाषा है, उर्दू इसी मिट्टी की है. इसे कुछ लोगों ने दूसरे मुल्क की जुबान समझ लिया है. मगर यह जुबान हिंदुस्तान की है. हमारी जुबान को लोग यहां से ले गए हैं.’’

यह बात अमरीश मिश्रा ने जश्ने-रेख््ता में श्रोताओं के सामने रखी, जिन्होंने कहा कि यह मुहब्बत की जुबान है. अगर आपको मोहब्बत करनी है, तो पहले उर्दू सीखें.

 

उन्होंने कहा कि इस भाषा को जीवित रखना होगा, जिसमें रेख़्ता अहम भूमिका निभा रहा है.

अमरीश मिश्रा ने उर्दू से मोहब्बत का अपने अंदाज में इजहार किया.