जम्मू-कश्मीरः युवाओं ने गरीब मां-बाप का दिया साथ, 31 जोड़ों की आई सामूहिक बारात

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
जम्मू-कश्मीरः युवाओं ने  गरीब मां-बाप का दिया साथ, 31 जोड़ों की आई सामूहिक बारात
जम्मू-कश्मीरः युवाओं ने गरीब मां-बाप का दिया साथ, 31 जोड़ों की आई सामूहिक बारात

 

आवाज द वाॅयस/ श्रीनगर
 
कश्मीर में बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियों की शादी देर से हो रही है या बिल्कुल नहीं हो रही है. ऐसे में युवाओं का एक समूह आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता का हाथ पकड़कर उनके लिए राहत सामग्री तैयार कर रहा है. वी द हेल्पिंग हैंड्स  नाम का एक सोशल ग्रुप ऐसे लोगों का हाथ पकड़कर मुसीबत से निकलने में मदद कर रहा है.

इस के अध्यक्ष उमर वानी का कहना है कि उन्होंने अब तक 381 जोड़ों की शादी कराई है. इस तरह बुधवार को श्रीनगर के बाबा बांध के मैरिज हॉल में 31 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया, जिसमें एक जोड़ा गैर मुस्लिम था.
 
वी द हेल्पिंग हैंड्स के अध्यक्ष उमर वानी ने कहा, ‘‘हम इन शादियों को इस तरह व्यवस्थित कर रहे हैं जैसे हम अपनी बहनों की शादी करा रहे हों.‘‘ उन्हें सोने के गहनों के अलावा वे सभी आवश्यक वस्तुएं प्रदान की जाती हैं जो साधारण शादियों में बेटियों को दी जाती हैं.
 
उन्होंने कहा कि कश्मीर में शादियों में काफी खर्च होता है. ऐसे में कई लड़के-लड़कियां अविवाहित रहते हुए शादी की उम्र पार कर जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस समूह का गठन किया और युवा बिना किसी वेतन के इस काम में शामिल हो गए. वे एक एनजीओ के रूप में उभरे हैं और उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है. किसी भी मीडिया एजेंसी को इन जोड़ों या उनके रिश्तेदारों की तस्वीरें लेने की अनुमति नहीं है.
 
संगठन की महिला शाखा की अध्यक्ष काजी फौजिया ने कहा कि मदद के लिए धर्म की कोई जरूरत नहीं है. धर्म या पंथ की परवाह किए बिना सभी को सहायता प्रदान की जाती है. समूह के एक सदस्य, आबिद ने कहा कि वह आमतौर पर किसी से नकद नहीं लेते, लेकिन मदद मांगने वालों के पंजीकरण के बाद लोगों से राहत सामग्री एकत्र करते हैं और फिर विवाह की व्यवस्था की जाती है.
 
यहां उमर वानी ने साफ किया कि वह रिश्तों को अरेंज नहीं करते बल्कि सिर्फ उनकी मदद करते हैं जो शादी का खर्च वहन नहीं कर सकते.सामूहिक शादी समारोह में मौजूद धार्मिक विद्वान मीर लोलाबी ने कहा कि यह एक महान कार्य है जो समाज में विवाह की फिजूलखर्ची को कम करेगा. समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद करेगा. आज के सामूहिक विवाह के मौके पर वजवान भी रखा गया था.
 
उमर वानी ने कहा कि दूर-दराज के इलाकों से आए दंपत्ति और उनके माता-पिता और रिश्तेदारों के लिए भोजन उपलब्ध कराना जरूरी है और कश्मीर में वजवान की परंपरा है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा गया कि पैसे की बर्बादी न हो.
 
कुछ साल पहले कश्मीर में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 35,000 लड़कियों की शादी की उम्र पूरी हो चुकी है, लेकिन उनकी शादी नहीं हो सकी. इसका मुख्य कारण शादियों में फिजूलखर्ची बताया गया.