जम्मू-कश्मीरः 75 साल के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव में वोट करेंगे पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 27-11-2022
पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का प्रदर्शन (फाइल)
पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का प्रदर्शन (फाइल)

 

मंजीत ठाकुर

साथ में, एजेंसी इनपुट्स

जम्मू में बसे हजारों पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

गौरतलब है कि जम्मू में करीब डेढ़ लाख पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं. वे आजादी के बाद पाकिस्तान से यहां चले आए थे. भारत का नागरिक होने के नाते वे अब तक संसदीय चुनाव लड़ सकते थे और मतदान कर सकते थे, लेकिन जम्मू- कश्मीर में पैदा न होने के कारण राज्य के चुनावों में न तो खड़े हो सकते थे न ही मतदान कर सकते थे. उन्हें राज्य सरकार की नौकरियों से भी वंचित रखा गया था.

लेकिन 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से अब विधानसभा चुनाव में उनके मतदान का रास्ता साफ हो गया है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन शरणार्थियों को अधिकार देने का वादा किया था, जिसमें मतदान का अधिकार, संपत्ति का अधिकार और उच्च शिक्षा और राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती शामिल थी.

जम्मू के बारी ब्राह्मणा में रहने वाले एक पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी कुमकारसिन सैनी न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहते हैं, “जम्मू और कश्मीर में एक पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी होने का मतलब गैर-बराबरी का शिकार होना था.”

सैनी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने से उनके जैसे शरणार्थियों को लाभ हुआ है. असल में, सैनी के बेटे को 6000 रुपए की सरकारी नौकरी नहीं मिल सक थी और उसके बाद उन्होंने एक निजी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था.

असल में, जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो बहुत सारे शरणार्थी पाकिस्तान—जो उस वक्त पश्चिमी पाकिस्तान था—से भारतीय कश्मीर में आए थे. उन शरणार्थियों को 1947 में पाकिस्तान से भारत आने के बाद हरेक परिवार के आधार पर एक घर आवंटित किया गया था. लेकिन अनुच्छेद 370 की वजह से वे जम्मू में वे कोई संपत्ति नहीं खरीद सकते थे.

सैनी के मामले में, पंद्रह साल पहले उनके ससुर ने उन्हें एक भूखंड दिया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के प्रतिबंधों के कारण वह उसे अपने नाम पर स्थानांतरित नहीं करवा सके.

सैनी कहते हैं, “अब भेदभाव खत्म हो गया है. मेरे बेटे को अब सरकारी नौकरी मिल सकती है.”

पश्चिम पाकिस्तानी शरणार्थी समुदाय के नेता लाबा राम गांधी न्यूज एजेंसी से कहते हैं, “पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों की मुख्य मांग अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था.”उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने शरणार्थियों से किए गए वादों को पूरा किया.

गांधी ने कहा कि पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के रहने वाले स्थानों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है, क्योंकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनकी समस्याओं की ओर कभी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा, चूंकि नेता जानते थे कि हमारे पास मतदान के अधिकार नहीं हैं, इसलिए उन्होंने परवाह नहीं की, लेकिन अब यह बदल चुका है.

गौरतलब है कि पश्चिमी पाकिस्तान से आने वाले अधिकतर शरणार्थी सियालकोट के इलाके से आए थे. असल में, 1947 के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का मूल स्थान खानसोपुर, काटो बांदा, महल्ला, अंबालेपुर, चारे चक और जोरेवाला गांव थे और ये सब सियालकोट तहसील के तहत आते थे. यह सारा हिस्सा अब पाकिस्तान में है.

बंटवारे के दो महीने और 9 दिनों के बाद, पाकिस्तानी हमलावरों ने कश्मीर पर हमला कर दिया. ऐसे में कुछ ऐसे परिवार भी थे जो जम्मू इलाके से निकलने लगे क्योंकि उन्हें यह इलाक भी सुरक्षित नहीं लगा. यहां तक कि पश्चिमी पाकिस्तान से आए ये शरणार्थी, लखनपुर में जाकर बस गए जिसको पंजाब से जम्मू-कश्मीर की ओर जाने का द्वार माना जाता है.

आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, करीब 5,746परिवार शरणार्थी के रूप में पाकिस्तान से भारत आए थे और उनमें से अधिकतर हिंदू और सिख थे. वे जम्मू-कश्मीर के सरहदी इलाकों में खासतौर पर कठुआ, सांबा और जम्मू जिले में जाकर बसे, और समुदाय के नेताओं का कहना है कि अब इन परिवारों की संख्या करीब 22,000 हो गई है.

यही वक्त था जब जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हो गया और शेख अब्दुल्ला ने इन शरणार्थियों को भरोसा दिलाया कि यह इलाका अब उनके लिए सुरक्षित है. इसी भरोसे की वजह से यह शरणार्थी जम्मू के विभिन्न गांवों में बस गए. इन शरणार्थियों के खेती के लिए जमीन दी गई और उन जमीनों में से अधिकतर उन मुसलमानों की थी, जो पाकिस्तान चल गए थे. बहरहाल, इन जमीनों के पट्टे उनके नाम से नहीं थे और उन्हें नागरिक अधिकार भी नहीं दिए गए थे.

 करीब 75 साल तक लोकसभा का वोटर होने और विधानसभा में वोट से वंचित रहने के बाद अब उनको मतदान का अधिकार मिल गया है.