जम्मू-कश्मीरः गुलमर्ग में खुला भारत का पहला ग्लास इग्लू रेस्तरां

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
जम्मू-कश्मीरः गुलमर्ग में खुला भारत का पहला ग्लास इग्लू रेस्तरां
जम्मू-कश्मीरः गुलमर्ग में खुला भारत का पहला ग्लास इग्लू रेस्तरां

 

 

बारामूला. कश्मीर के हिल स्टेशन गुलमर्ग में बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच कांच का इग्लू रेस्टोरेंट पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. पर्यटकों को इस कांच की दीवार वाले रेस्तरां में अपने भोजन का आनंद लेते और तस्वीरें लेते देखा जा सकता है.


यह अनोखा ग्लास इग्लू रेस्तरां गुलमर्ग के एक होटल कोलाहोई ग्रीन हाइट्स द्वारा विकसित किया गया है. होटल का दावा है कि यह घाटी का पहला ग्लास इग्लू रेस्तरां है. गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने घाटी का पहला बर्फ से ढका रेस्टोरेंट बनाया था.

 

होटल मैनेजर हामिद मसौदी के मुताबिक गुलमर्ग को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए उसने हमेशा अनोखे उपाय किए हैं. उन्होंने कहा कि 2020 में, होटल ने एशिया में सबसे बड़ा इग्लू बनाया, जबकि 2021 में, उन्होंने दुनिया में सबसे बड़ा इग्लू बनाया और इस साल, उन्होंने एक ग्लास इग्लू बनाया, जो कश्मीर में इस तरह का पहला इग्लू है.

 

मसौदी ने बताया, ‘‘हमने फिनलैंड से यह अवधारणा ली और अपने होटल के आंगन में तीन इग्लू बनाए, जो पहले कहीं नहीं देखे गए थे. फिर हमने गुलमर्ग के पहले चरण में तीन इग्लू भी बनाए, जिन्हें यहां आने वाले लोग बहुत पसंद कर रहे हैं.’’

 

उन्होंने आगे कहा कि इस अनोखे इग्लू के लिए इम्पोर्टेड फैब्रिकेटेड मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है. कांच के सामने वाला यह अनूठा रेस्तरां आंतरिक गर्मी को अछूता रखता है और साथ ही बेहतरीन दृश्य प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा, ‘‘इन ग्लास इग्लू में से प्रत्येक में एक बार में आठ लोग बैठ सकते हैं. हम पर्यटकों को अलग तरह का अनुभव देने की कोशिश कर रहे हैं.’’

 

कांच के सामने वाले इन अनोखे रेस्तरां को स्थानीय लोग बहुत पसंद करते हैं. एक पर्यटक सायख ने कहा कि वह कश्मीर घाटी में आया था और गुलमर्ग में समय बिताना चाहता था और जब उसे यह रेस्तरां मिला, तो उसे एक बहुत ही अलग अनुभव हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें बैठकर मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं स्वर्ग की खिड़की से झाँक रहा हूँ. कांच से घिरे इस रेस्टोरेंट मे बिल्कुल भी ठंड नहीं है. एक कप कॉफी और इस अनोखे अनुभव के साथ बाहर का नजारा, मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं.’’