गंगा-जमुनी तहजीब बचाने के लिए बनारस के जमीयत उलेमा की खास पहल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
जमीयत उलेमा-ए-बनारस की खास पहल
जमीयत उलेमा-ए-बनारस की खास पहल

 

वाराणसी. जमीयत-ए-उलेमा-ए-बनारस ने देश की गंगा-जमुनी संस्कृति की महान विरासत को संरक्षित करने के लिए एक विशेष प्रयास शुरू किया है. जमीयत-ए-उलेमा-ए-बनारस के संरक्षक हाजी अब्दुल मलिक के आवास पर आज एक औपचारिक बैठक हुई. विशेष अतिथि के रूप में काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कल्पना तिवारी पहुंचे.

हाजी अब्दुल मलिक साहिब ने पारंपरिक रूप से महंत जी का स्वागत किया और उन्हें अंग वस्त का उपहार दिया. महंत डॉ. तिवारी जी ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया.

उन्होंने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि आज गंगा-जामनी संस्कृति के संरक्षण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जो काशी नगरी की विशेष पहचान है. हमें उन लोगों से समाज की रक्षा करनी है, जो हमारी साझी विरासत, गंगा-जामनी संस्कृति के लिए खतरा हैं, चाहे उनका संप्रदाय कुछ भी हो.

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महंत जी कार्यक्रम से बहुत खुश थे और उन्होंने समय-समय पर इस तरह की बैठक करने पर जोर दिया और कहा कि वह इस तरह के कार्यक्रम के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.

जमीयत-उलेमा-ए-पूर्वी उत्तर प्रदेश के महासचिव हाफिज ओबैदुल्ला ने कहा कि जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के केंद्रीय नेता मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत की सभी इकाइयों के नाम प्रत्येक जिले में एक समिति बनाने का निर्देश दिया है. जमीयत सद्भावना समिति को सभी धर्मों और संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए.

हाफिज ओबैदुल्ला ने आगे कहा कि वर्तमान लॉकडाउन की स्थिति के कारण इस पर काम नहीं किया जा सकता है, लेकिन हमें यकीन है कि आज हमें महंत जी का समर्थन मिला है, हम जल्द ही इस समिति का गठन कर पाएंगे.

जमीयत-उलेमा-ए-बनारस के महासचिव मौलाना अहमद शकील ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया.

इस कार्यक्रम में जमीयत उलेमा बनारस के अध्यक्ष हाजी अबुल हाशिम साहिब, हनीफ एजुकेशनल सोसाइटी के निदेशक हाजी वसीम अहमद, जमीयत उलेमा ए बनारस के अन्य अधिकारी, कार्यकर्ता और अन्य सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया.