मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली
इस्लामिक शिक्षा संस्थानों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने और बेहतर शिक्षा देने के लिए आवाजें उठ रही हैं. सरकार की दलील है कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा समय की मांग है. ऐसी बात भी सामने आई है कि मदरसों में अनट्रेंड मौलाना पढ़ाते हैं.
मुसलमानों की सबसे बड़ी मुस्लिम संस्थान जमीयत उलेमा ए हिन्द की यूनिट (शिक्षा बोर्ड) तालीमी बोर्ड ने मदरसों में शिक्षा व्यवस्था को कुशल बनाने और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए दिल्ली के जाफराबाद इलाके के मदरसा बाबुल उलूम में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजित किया, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भाग लिया.
जमीयत ए उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक हमारे अंदर किसी भी काम को करने का जज्बा और दिवानगी नहीं है, उसका बेहतर परिणाम नहीं आएगा. कम समय में हम बच्चों को कैसे पढ़ाएं? शिक्षक कई विषयों की कैसी तैयारी करंे जिससे बच्चों को आसानी से समझया जा सकते. हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत हैं.
उन्होंने आगे कहा कि देश के मौजूदा हालत में हमें छोटे बच्चों को ऐसे पढ़ाना है कि जिस से वह आगे चल कर आधुनिक शिक्षा के साथ अपने ईमान की हिफाजत कर सके. कार्यशाला की अध्यक्षता मौलाना दाऊद अमीनी ने की.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद ने मदरसों और मकतबों के लिए जो निजाम तैयार किए हैं उसे वर्षों पहले देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद कर चुके हैं. अब हमें उनके काम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता हैं.
मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने कहा कि हम छात्र बन कर बच्चों को पढ़ाएंगे तो नतीजे अच्छे आएंगे. बच्चों को पढ़ाई पर उभारें, जिससे वह खुद पढ़ाई पर ध्यान लगाएं. जब किसी विषय को पढ़ाने जाएं तो उसे पहले खुद पढ़ लें जिससे आसानी होगी.
कार्यशाला में तालीमी बोर्ड कर्नाटक के अध्यक्ष मुफ्ती जैनुल आबदीन, मौलाना वली उल्लाह, पो असगर मिस्बाही झारखंड. मौलाना अखलाक कासमी, मौलाना गुय्यूर अहमद कासमी, मौलाना यूसुफ समेत बड़ी संख्या में विद्वान मौजूद थे.मौके पर शिक्षकों के बीच प्रमाण पत्र दिए गए.