नई दिल्ली
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने सभी राजनीतिक दलों से बिहार विधानसभा चुनावों में नफरती भाषणों, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और धन या बाहुबल के गलत इस्तेमाल से बचने की अपील की।
आज जमाअत के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कांफ्रेंस में उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने आगामी चुनावों में नागरिकों से बड़ी संख्या में भाग लेने और विवेकपूर्ण मतदान करने की अपील की। उन्होंने कहा, “वोट देना केवल अधिकार नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने और एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और विकसित समाज बनाने का पवित्र कर्तव्य है। उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनकी ईमानदारी, विज़न और असली मुद्दों – जैसे गरीबी, बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय – को हल करने की प्रतिबद्धता के आधार पर करें, न कि भावनात्मक या विघटनकारी अपीलों में बहकर।”
उन्होंने चुनाव आयोग से मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को सख्ती से लागू करने की भी अपील की ताकि निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें। प्रो. सलीम ने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक सद्भाव से जुड़ा है और उम्मीद है कि लोग ऐसे प्रतिनिधियों का चयन करेंगे जो समावेशी विकास, न्याय और शांति के लिए प्रतिबद्ध हों।
उपाध्यक्ष ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य हिस्सों में हुई यौन हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा, “ये केवल व्यक्तिगत घटनाएं नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त गंभीर असुरक्षा और नैतिक पतन के संकेत हैं।” NCRB की रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया 2023’ के अनुसार महिलाओं के खिलाफ 4,48,211 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने पुलिसिंग, न्यायपालिका और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए व्यापक जेंडर-सेंसिटिविटी प्रशिक्षण और पीड़ित-केंद्रित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो. सलीम ने कहा, “कड़े कानूनों के साथ-साथ नैतिक और सामाजिक सुधार जरूरी हैं। समाज को सम्मान, गरिमा और ईश्वर-भय के प्रति पुनः प्रतिबद्ध होना होगा।”
साथ ही एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) के सचिव नदीम खान ने CAA विरोधी एक्टिविस्टों की बिना उचित ट्रायल हिरासत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “निर्दोष छात्र और एक्टिविस्ट पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं। लोकतांत्रिक विरोध को क्रिमिनलाइज़ करने के लिए UAPA का गलत इस्तेमाल संविधान के लिए खतरा है।” उन्होंने सेलेक्टिव ज्यूडिशियल ट्रीटमेंट की ओर भी ध्यान दिलाया और सुप्रीम कोर्ट से बेल की सुनवाई को प्राथमिकता देने की अपील की।
खान ने कहा, “असहमति की आज़ादी लोकतंत्र की आत्मा है। इसे दबाना लोकतंत्र की नींव पर हमला है।”