जम्मू-कश्मीर का परिसीमन 2011 की जनगणना पर होगा आधारित

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-07-2021
सुशील चंद्रा
सुशील चंद्रा

 

जम्मू. परिसीमन आयोग ने शुक्रवार को कहा कि परिसीमन 2011की जनगणना के आधार पर किया जाएगा और सभी मांगों और सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अंतिम मसौदा तैयार किया जाएगा.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा, “पहला पूर्ण परिसीमन आयोग 1981 में बनाया गया था, जो 1995 में 14 साल बाद अपनी सिफारिश प्रस्तुत कर सकता था. यह 1981 की जनगणना पर आधारित था. उसके बाद, कोई परिसीमन नहीं हुआ. 2020 में, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 62 के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर अभ्यास करने के लिए परिसीमन का गठन किया गया था. जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा की 24 सीटें खाली रहेंगी और उक्त क्षेत्र को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019के भाग-पांच के तहत प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन में बाहर रखा जाएगा.”

उन्होंने कहा, “1995 में 12 जिले थे. अब संख्या 20हो गई है. तहसीलों की संख्या 58 से बढ़कर 270 हो गई है. 12 जिलों में, निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को जिले की सीमा से आगे बढ़ाया गया है. जिलों का स्वरूप ओवरलैपिंग है, साथ ही निर्वाचन क्षेत्रों में तहसीलें भी. ऐसे सभी तथ्यों से संकेत मिलता है कि ऐसी विसंगतियों के कारण जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है.”

उन्होंने कहा, “सभी मांगों और सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, एक मसौदा तैयार किया जाएगा और उनकी टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा. सभी टिप्पणियों को देखने के बाद, अंतिम मसौदा (परिसीमन अभ्यास पर) तैयार किया जाएगा.”

उन्होंने कहा, “अगर पहले कुछ तय होता, तो आयोग यहां नहीं आता. अभी तक कुछ भी पूर्व नियोजित नहीं है. अभ्यास शुरू करने से पहले, हम सभी लोगों के विचार रखना चाहते हैं. किसी भी व्यक्ति के मन में आशंकाएं नहीं होनी चाहिए.”

परिसीमन आयोग मंगलवार को जम्मू और कश्मीर पहुंचा और केंद्र शासित प्रदेश में चुनावी क्षेत्रों को फिर से बनाने की कवायद पर इनपुट प्राप्त करने के लिए दर्जनों राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज समूहों के साथ बातचीत की.

30जून को राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव आयोग के कार्यालय में पैनल की बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर का दौरा करने का निर्णय लिया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ बैठक की थी. बैठक 5अगस्त, 2019 के बाद से केंद्र और राजनीतिक नेतृत्व के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी, जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था. जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.