मुस्लिम उलेमा की इत्तेहाद-ए-मिल्लत कान्फ्रेंस रही बेनतीजा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-08-2021
उलेमा की इत्तेहाद-ए-मिल्लत कान्फ्रेंस
उलेमा की इत्तेहाद-ए-मिल्लत कान्फ्रेंस

 

अब्दुल हई खान / नई दिल्ली

जमात-ए-इस्लामी की पहल पर मुसलमानों के मुद्दों पर अलीगढ़ और दिल्ली में हुआ मुस्लिम विद्वानों का सम्मेलन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक अलीगढ़ में शनिवार को हुई बैठक में जमात-ए-इस्लामी के अधिकारी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ज्यादातर प्रोफेसर मौजूद थे.

बैठक कई मुद्दों पर केंद्रित रही और कोई सार्थक समाधान नहीं निकल सका.

बैठक में जमात-ए-इस्लामी के स्थानीय नेता और जमात के इंजीनियर सआदतुल्लाह हुसैनी के अमीर मौजूद थे.

इस मौके पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, राष्ट्रीय परिषद के महासचिव डॉ. मंजूर आलम, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना अबुलका सिम नोमानी, दारुल उलूम के अधीक्षक, शिया आलम मौलाना क्लब जवाद मौजूद थे. उलेमा-ए-मशायख बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अशरफ कचुछोवी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी मोहाली और मौलाना फजल रहीम मुजाद्दीदी ने भाग लिया.

मुस्लिम मजलिस-ए-मुशौरत के अध्यक्ष सैयद नवीद हामिद ने संवाददाताओं से कहा कि देश में मुसलमानों के सामने आने वाले मुद्दों के साथ-साथ सांप्रदायिक मतभेदों को खत्म करने पर भी चर्चा हुई.

हालांकि दिल्ली की बैठक में पांच प्रस्ताव पेश किए गए, लेकिन यह नहीं बताया गया कि उन्हें कैसे लागू किया जाएगा.

मुसलमानों से अपील की गई कि वे किसी के बारे में बुरा न बोलें. शिक्षा पर ध्यान दें और पेशेवर मतभेदों में न फंसें.

मौलाना आजाद विश्वविद्यालय, जोधपुर के अध्यक्ष प्रो. अख्तर अल-वासे ने कहा कि इत्तेहाद-ए-मिल्लत का यह प्रयास सराहनीय है.

उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए और सोशल मीडिया के क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. ऐसे अभियानों में महिलाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए.