क्या पैगंबर मोहम्मद पर अवैध टिप्पणी को लेकर भारत में मचे बवाल के पीछे कतर के शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी चौरिटेबल एसोसिएशन का हाथ है ?
मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
पैगंबर मोहम्मद साहब पर अभ्रद टिप्पणी के विरोध में शुक्रवार को देश भर में जुमे की नमाज के बाद जो बवाल मचा क्या उसके पीछे कतर के प्रमुख धर्माथ संगठन चौरिटी शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी चौरिटेबल एसोसिएशन का हाथ है. भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा और दिल्ली के पार्टी के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल के पैगंबर मोहम्मद के विरूद्ध दिए गए बयान के बाद मुस्लिम दोस्त देशों के सामने भारत को शर्मिंदा करने का जो प्रयास किया गया क्या इसके पीछे चैरेटबल एसोसिएशन के संस्थापकों में से अब्द अल-रहमान अल-नुयमी की कारस्तानी थी ?
हालांकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के विरूद्ध कार्रवाई के बाद दोस्त मुस्लिम देशों की बहुत हद तक नाराजी दूर हो चुकी है. ईरान सहित कई देशों ने पैगंबर मोहम्मद के मस्ले पर भारत विरोधी बयान हटा लिए हैं, पर दूसरी तरफ भारत में इस मामले को तूल देने की लगातार कोशिशें चल रही हैं.
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने देशभर में पैगंबर मोहम्मद के नाम पर चल रहे बवाल से खुद को अलग रखा है. बावजूद इसके कोई अदृश्य शक्ति है जो इस मसले को लंबे समय तक जिंदा रखकर देश में उत्थल-पुथल मचाना चाहता है.
लंदन के पॉलिसी रिसर्च ग्रुप के लेखक जेम्स डगलस क्रिक्टन की एक रिपोर्ट की मानें तो इस साजिश के पीछे कतर के कुछ चौरिटी संगठन विशेषकर कतर के प्रमुख चौरिटी शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी चौरिटेबल एसोसिएशन का हाथ हो सकता है.
जेम्स डगलस क्रिक्टन की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में शरारत पूर्ण हरकतंे करने के लिए एसोसिएशन यहां के कई स्लामिक संगठनों को फंडिंग कर रहा है. चूंकि अभी इन संगठनों के विरूद्ध कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए अब तक यह कानूनी शिंकेज के बाहर हैं.
डगलस की रिपोर्ट कहती है,लगातार बैंकरोलिंग वैश्विक आतंकवाद के पीछे एक प्रमुख कारण बन गया है. मुस्लिम समुदाय इन संगठनों को मस्जिदों, मदरसों के निर्माण और शिक्षा व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लाखों डॉलर भेजते हैं.
बाद में इन पैसों को इस्लाम के एक खास कट्टरपंथी स्कूल को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषित किया जाता है. यही संगठन भारत जैसे बहु-धार्मिक समाजों में मतभेदों और संदेह को गहरा करता है.
पॉलिसी रिसर्च ग्रुप ने लंदन के एक लेखक जेम्स डगलस क्रिक्टन की एक रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है.रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित दुनिया भर में चरमपंथ का समर्थन करने में लिप्त कतर में प्रमुख चौरिटी शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी चौरिटेबल एसोसिएशन है, जिसे ईद चौरिटी भी कहा जाता है.
यूएस के वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) ट्रेजरी विभाग ने 2013 में इसके संस्थापक सदस्यों में से एक को विशेष रूप से नामित किया है. यह अब्द अल-रहमान अल-नुयमी के रूप में जाना जाता है. उस पर सीरिया, यमन, इराक और सोमालिया में अल-कायदा और उसके सहयोगियों को वित्तीय और भौतिक सहायता प्रदान करने का आरोप है.
कतर चौरिटी फंडिंग के कई प्रत्यक्ष लाभार्थी बदले में छोटे समूहों का समर्थन करते हैं जो अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट (आईएसआईएल) जैसी वैश्विक आतंकवादी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. इनमें से कई समूह वास्तव में सामाजिक संस्थाएं हैं, जिन्हें छिपाने के लिए बनाया गया है. इसका
वास्तविक लाभार्थी, सलाफी समूह है.पीओआरईजी की रिपोर्ट के अनुसार, ईद चौरिटी कथित तौर पर स्थानीय कतर चौरिटी और फाउंडेशन शेख थानी इब्न अब्दुल्ला फॉर ह्यूमैनिटेरियन सर्विसेज (आरएएफ) के साथ भी काम करती ह, जो कथित तौर पर आतंकी-वित्तपोषित चौरिटी समूह हैं.
विभिन्न अध्ययनों ने उग्रवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण और नकदी की प्रत्यक्ष भागीदारी के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित किया है. चूंकि ईद चौरिटी जैसे चौरिटी संगठन सामुदायिक कल्याण को दान के कारण के रूप में उपयोग करते हैं क्योंकि यह चरमपंथी संगठनों को उन गतिविधियों के लिए धन का उपयोग करने में मदद करता है, जबकि अस्लियत में यह राष्ट्र विरोधी हैं.
अमेरिका स्थित मिडिल ईस्ट फोरम द्वारा प्रकाशित लीक हुए ईद चौरिटी दस्तावेज दिखें तो 7.82 अमेरिकी डॉलर की राशि भारत में आठ सलाफी समूहों को हस्तांतरित की गई. पैसा मस्जिदों के निर्माण, मरम्मत और पानी पंप सेट स्थापित करने के नाम पर उपलब्ध कराए गए.
पीओआरईजी ने बताया, सलाफी परोपकारी समाज - केरल (क्यूआर 17,710,845.00), शैक्षिक चौरिटेबल सोसाइटी - उबे (क्यूआर 7,330,385.00), शांति शिक्षा केंद्र - भारत (क्यूआर 1,906,885.00), अल-सफा शैक्षिक, औद्योगिक और इस्लामी धर्मार्थ सोसायटी - भारत (क्यूआर 924,60), हबीब एजुकेशनल एंड चौरिटेबल फाउंडेशन - भारत (क्यूआर 339,780.00) को मस्जिदों और स्कूलों का प्रबंधन करने के लिए धन उपलब्ध कराए गए हैं.
इसी तरह भारत चौरिटेबल फाउंडेशन (क्यूआर 10,200.00) और शिक्षा, स्वास्थ्य और राहत के प्रचार के लिए धर्मार्थ केंद्र के संगठन (क्यूआर 3,500.00) के लिए धन मुहैया कराए गए हैं.
पीओआरईजी की रिपोर्ट के अनुसार, फंड का उपयोग जरूरतमंद व्यक्तियों और हिजाब के प्रचार और वितरण जैसी वैचारिक परियोजनाओं की मदद के लिए किया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, डॉ हुसैन मदवूर संगठन के प्रमुख हैं.
वह केरल में एक प्रमुख धार्मिक व्यक्ति हैं. वह केरल के सबसे बड़े सलाफी संगठन, केरल नदवथुल मुजाहिदीन (केएनएम) के उपाध्यक्ष हैं.अभी तक, इन सलाफी संगठनों या उनके सदस्यों के भारत या विदेश में आतंकवाद के किसी कृत्य में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने का कोई सबूत नहीं है,
लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने धर्मांतरण और देशद्रोह के माध्यम से संभावित जिहादियों का एक कैडर बनाने की दिशा में पहल कदमी की है. इसमें युवा पुरुष और महिलाएं समान रूप से सक्रिय हैं.
इनपुट एएनआई