चेन्नई. तमिलनाडु कैडर के शीर्ष पुलिस अधिकारी और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1989 बैच के शकील अख्तर, जिन्होंने पुलिस हिरासत से भागने के बाद बेंगलुरू में इस्लामिक आतंकी ऑपरेटिव इमाम अली को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. अख्तर वर्तमान में तमिलनाडु पुलिस की सीआईडी विंग का नेतृत्व कर रहे हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और उनकी टीम ने 29 सितंबर, 2002 को बेंगलुरू में तड़के एक अभियान में इमाम अली और उनके चार साथियों को मार गिराया था.
1993 में चेन्नई में आरएसएस कार्यालय पर हुए बम हमले के पीछे इमाम अली का हाथ था. इमाम अली और उनके साथी हैदर अली तमिलनाडु पुलिस हिरासत से भाग गए थे, जब उन्हें तिरुमंगलम में एक अदालत में लाया जा रहा था, साथ में पुलिसकर्मियों से एके -47 बंदूक छीनकर उनके सशस्त्र सहयोगियों ने पुलिस जीप को घेर लिया था जिसमें वे यात्रा कर रहे थे.
शकील अख्तर ने बेंगलुरु के एक महिला पुलिस अधिकारी और एक पुरुष पुलिस अधिकारी को नवविवाहित जोड़े के रूप में उस घर के पास तैनात किया था, जहां इमाम अली और उसके साथियों के बेंगलुरु में छिपे होने का संदेह था. जब उन्होंने पुष्टि की कि इमाम अली घर में रह रहा है, तो अख्तर के नेतृत्व में पुलिस दल अंदर गया और गोलीबारी में इमाम अली और उसके साथी मारे गए.
शकील अख्तर के सोमवार को सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें चेन्नई के राजारथिनम स्टेडियम में विदाई परेड दी जाएगी. डीजीपी जेल, सुनील कुमार सिंह, जो 1988 तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, भी सोमवार को सेवानिवृत्त होंगे.