बुद्धिजीवियों ने कहा- हकीम अजमल खान के विचारों को भारत के विकास का नुस्खा बनाया जाए

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 30-03-2022
बुद्धिजीवियों ने कहा- हकीम अजमल खान के विचारों को भारत के विकास का नुस्खा बनाया जाए
बुद्धिजीवियों ने कहा- हकीम अजमल खान के विचारों को भारत के विकास का नुस्खा बनाया जाए

 

आवाज द वाॅयस / भोपाल 
 
भोपाल में ओशिना एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी और नेशनल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज, दिल्ली के संयुक्त बैनर तले एक संगोष्ठी आयाजित की गई. प्रमुख बुद्धिजीवियों ने हकीम अजमल खान देहलवी की चिकित्सा साहित्य और भाषाई सेवाओं पर संगोष्ठी में भाग लिया और हकीम अजमल खान की शैक्षिक और साहित्यिक सेवाओं के महत्व पर प्रकाश डाला. हकीम अजमल खान के विचारों को भारत के विकास के लिए एक नुस्खा के रूप में व्याख्यायित किया गया.
 
ओसियाना एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी भोपाल और नेशनल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज के संयुक्त बैनर तले भोपाल अंडा प्रिया दर्शनी स्कूल में आयोजित सेमिनार में प्रख्यात उर्दू लेखकों के साथ चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी भाग लिया.
 
विद्वानों ने हकीम अजमल खान के विचारों और विचारों के साथ उनकी चिकित्सा सेवाओं, साहित्यिक और भाषाई सेवाओं के साथ उनकी कविता पर भी विस्तार से चर्चा किया.हकीम अजमल खान देहलवी के चिकित्सा साहित्य और भाषाई सेवाओं पर संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. युसूफ खलील हुसैनी ने कहा कि मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान जैसे प्रतिभाशाली हर किसी का जन्म नहीं होता है.
 
भारत को उसी खाका की जरूरत है जो हकीम अजमल खान ने अपने सर्वांगीण व्यक्तित्व और शैक्षिक विचारों से भारत के गौरव के लिए खींचा था. हकीम अजमल खान ने शिक्षा के साथ यूनानी चिकित्सा और आयुर्वेद पर जो काम किया है वह न केवल अद्वितीय है बल्कि यह कीमिया का एक नुस्खा है जिससे हम भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं.
 
अपने शोध प्रबंध को प्रस्तुत करते हुए डॉ. मुहम्मद आजम ने कहा कि अजमल खान भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए यूनानी चिकित्सा और आयुर्वेद को एक मंच पर एक साथ लाया. इस काम को आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
 
हकीम अजमल द्वारा छोड़े गए मूल्यवान टुकड़े उर्दू साहित्य के साथ अरबी साहित्य में   इस पर नए सिरे से काम करने की जरूरत है ताकि इसका नया अर्थ दुनिया के सामने आ सके.उनका काव्य आधुनिकता से अलंकृत है. मसीह-उल-मुल्क, हजेक-उल-मुल्क हकीम अजमल खान को हमेशा याद किया जाना चाहिए.
 
अफसोस की बात है कि भारत गणराज्य में, स्वतंत्रता के संघर्ष में अपना खून देने वाले सभी लोगों को भुला दिया गया. एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचें जो कांग्रेस का अध्यक्ष था, मुस्लिम लीग के संस्थापकों में से एक ने हिंदू महासभा के अधिवेशन की अध्यक्षता की.