चीन से संघर्ष के वक्त अग्रिम मोर्चों पर तैनात थे भारतीय युद्धपोत : नौसेना प्रमुख

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 03-12-2021
आर. हरि कुमार
आर. हरि कुमार

 

 नई दिल्ली. भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ सीमा संघर्ष के दौरान भारतीय युद्धपोतों को अग्रिम स्थानों पर तैनात किया गया था.

 
नौसेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर सुरक्षा की स्थिति ने भारत के सामने चुनौतियों को और बढ़ा दिया है.
 
एडमिरल कुमार ने जोर देकर कहा कि भारतीय नौसेना भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त है.
 
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना वर्ष 2007 से हिंद महासागर में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (नौसेना) की मौजूदगी पर नजर रखे हुए है.
 
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों की उपस्थिति का विवरण साझा करते हुए, एडमिरल कुमार ने कहा कि औसतन सात चीनी पीएलए नौसेना के जहाज हैं. वे कभी-कभी अपनी पनडुब्बी भी भेजते हैं.
 
एडमिरल कुमार ने कहा, "हम उनके (चीनी) जहाजों की तैनाती के बारे में जानते हैं. हम सब कुछ ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति की योजना भी बनाते हैं. हमने चीनी जहाजों को कड़ी निगरानी में रखा है और हम अब भी ऐसा करना जारी रखे हुए हैं."
 
वह 4 दिसंबर को मनाए जाने वाले भारतीय नौसेना दिवस से पहले मीडिया को संबोधित कर रहे थे.
 
चीनी नौसेना की ताकत के बारे में बोलते हुए, एडमिरल ने कहा कि उन्होंने पिछले 10 वर्षों में 180 जहाजों का निर्माण किया है.
 
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना दोनों चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है. कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे 39 युद्धपोतों और पनडुब्बियों में से 37 भारत में 'मेक इन इंडिया' के तहत बनाए जा रहे हैं, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी खोज को दर्शाता है.
 
बेड़े में जहाजों के शामिल होने के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में 28 जहाजों को कमीशन किया गया है.
 
मानव रहित प्रणालियों के बारे में बात करते हुए, एडमिरल कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना के पास जल्द ही हवा और पानी के अंदर चलने वाली स्वदेशी-मानवरहित प्रणालियां होंगी. इसके लिए 10 साल का रोडमैप तैयार है.
 
उन्होंने सैन्य मामलों का विभाग बनाने के सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा, "सैन्य मामलों के विभाग का निर्माण सीडीएस के पद के निर्माण के साथ-साथ स्वतंत्रता के बाद से सेना में सबसे बड़ा सुधार है. यह तेजी से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है."
 
भारत और चीन पिछले 19 महीनों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं.