भारतीय मुसलमान स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष हैंः मुस्लिम छात्र संगठन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 26-09-2021
भारतीय मुसलमान स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष हैंः मुस्लिम छात्र संगठन
भारतीय मुसलमान स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष हैंः मुस्लिम छात्र संगठन

 

आवाज-द वॉयस/नई दिल्ली

भारत के मुस्लिम छात्र संगठन के एक वेबिनार में लगभग सभी वक्ताओं ने कहा कि भारतीय मुसलमान धर्मनिरपेक्ष राजनीति को पसंद करते हैं और मुस्लिम प्रतिनिधित्व के नाम पर मतदान अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

भारत के मुस्लिम छात्र संगठन द्वारा राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में एक वेबिनार का आयोजन किया गया. इस वेबिनार में देश के विभिन्न विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए.

भारत के मुस्लिम छात्र संगठन द्वारा आयोजित वेबिनार का शीर्षक था ‘क्या मुस्लिम प्रतिनिधित्व भारतीय मुसलमानों की समस्याओं का एकमात्र समाधान है?’

वेबिनार को वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है और भारतीय मुसलमानों को धर्मनिरपेक्षता की शर्त पर किसी भी तरह की धार्मिक राजनीति का शिकार नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमारे लिए धर्मनिरपेक्षता का फायदा उठाना और धर्म के नाम पर राजनीति करना संभव नहीं है. उन्होंने राजनीति और धर्म को अलग रखने पर जोर दिया.

इस्लामी इतिहास का जिक्र करते हुए प्रोफेसर वासे ने कहा कि इस्लाम का मूल सिद्धांत लोकतंत्र है और इसमें समावेश की भावना है, जिसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि यह समय अन्य समुदायों के लोगों के साथ बातचीत में शामिल होने का है, न कि चर्चाओं में समय बर्बाद करने का.

वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त साफ हो गया था कि भारत में रहने वाले मुसलमान सेक्युलर हैं. उस समय के मुसलमान अपने परिवार के सदस्यों से अलग रहना पसंद करते थे, लेकिन भारत छोड़ना नहीं चाहते थे. इससे साबित होता है कि भारत की मुस्लिम आबादी हमेशा से सेक्युलर रही है.

टंडन ने कहा कि हालांकि राजनीतिक दल अपने हितों के लिए ध्रुवीकरण कर रहे हैं, भारतीय लोग अभी भी गंगा-जामनी सभ्यता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों में विश्वास करते हैं.

पत्रकारिता विश्वविद्यालय (जयपुर) के एक व्याख्याता अखलाक उस्मानी ने कहा कि हालांकि धार्मिक राजनेताओं को सुनने के लिए एक बड़ी भीड़ जाती है, यह पूरी तरह से वोट में नहीं बदलती है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय मुसलमान अभी भी धार्मिक हैं.

उन्होंने इस आशंका का खंडन किया कि भारतीय मुसलमान सलाफी खिलाफत के नाम पर अंतरराष्ट्रीय कट्टरपंथी तत्वों की ओर रुख करेंगे.

उन्होंने याद किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार कहा था कि भारत के मुस्लिम युवा किसी भी तरह के आतंकवाद के प्रति आकर्षित नहीं हैं.

इस मौके पर एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शुजात अली कादरी ने कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है और यहां मुस्लिम युवाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है.

धर्म और राजनीति को अलग करने की मांग करते हुए उन्होंने इस्लाम का नाम लेने वाले किसी भी तत्व से गुमराह होने से पहले भारतीय मुस्लिम युवाओं को सावधान रहने और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की चेतावनी दी.

गौरतलब है कि इस कार्यक्रम का फेसबुक समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया और विभिन्न सवाल पूछे, जिनका जवाब दिया गया.